2 जनवरी 2010

४- सौ सौ बार बधाई

चढ़ती धूप उतरता कुहरा
नव कोंपल अँखुआई
नए वर्ष में
नवगीतों की फिर बगिया लहराई

मन कुरंग
भर रहा कुलाँचें
बहकी गंध-भरी पुरवाई
ठिठुरन बढ़ी
दिशाएँ बाधित
चन्द्र-ग्रहण ने की अगुआई
फिर से आज बधाई!
सबको सौ-सौ बार बधाई!!

सारस जोड़ी
लगीं उतरने
होने लगीं कुलेलें
विगत साल की
उलझी गुत्थीं चोंच मिलाकर खोलें
मंत्र-मुग्ध हो गई किसानिन
सकुची, खड़ी, लजाई !
फिर से आज बधाई!
सबको सौ-सौ बार बधाई !!


-डा० व्योम

12 टिप्‍पणियां:

  1. डा० व्योम, आपको भी नव वर्ष की बहुत बहुत बधाई और एक सुन्दर रचना के लिए साधुवाद।

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  2. बेहतरीन। लाजवाब। आपको नए साल की मुबारकबाद।

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  3. --------------------------
    Vyom Saheb,
    kavita dwara naye varsh ka sandesh dene ka andaz ati uttam hai. Thank you.
    नव वर्ष की शुभकामनाएँ
    सब को पहुंचे भाई
    आप को बहुत बहुत बधाई,

    हम बैठे दक्षिण-गोलार्ध में
    जहाँ ग्रीष्म है भाई
    क्रिसमस का जहाँ केक कटे है
    वह भी ग्रीष्म में भाई,
    आप को बहुत बहुत बधाई,

    जहाँ कोहरे की चुनरी औढ़े
    प्रकृति रूप दिखाए
    सर्दी देखे न गर्मी देखे
    शीत शहनाई बजाये
    जब भी धूप चढ़े,
    और तीक्ष्णता दिखलाये
    उसी क्षण में कोहरा छटे
    कुदरत शृंगार दिखाए

    आपकी सर्दी हमारी गर्मी
    यह कुदरत का खेला
    नए साल के शुभ अवसर
    पर लगा दुनियाँ में मेला

    जो भी, जहाँ,-सभी के
    लिए हैं मेरी शुभकामनाएँ
    नव वर्ष के शुभ अवसर
    खुशियाँ खूब मनाएं

    नव प्रण, नव प्रभात, सुख वर्षा
    सुख की बजे शहनाई
    आप को बहुत बहुत बधाई
































































































    पर
    खुशियाँ छा जाएँ

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  4. आपको भी नव वर्ष की बहुत बधाई ...

    आपको ईमेल भी किया था, कोई जबाब न आया.

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  5. एरोमा जी,

    आपके गीत में महकते सौंदर्य को देखकर
    मेरा मन-मयूर नृत्य कर उठा!

    यहाँ बज रही शीत की शहनाई,
    वहाँ ग्रीष्म ने मुरली बजाई!

    आपको भी नए वर्ष पर शुभकामनाओं के साथ
    "शृंगार" को शुद्ध रूप में लिखने पर बधाई!

    संपादक : सरस पायस
    और हिंदी का शृंगार

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  6. phir se aj bdhaee
    sabko 100-100 bar badhaee
    ati sunder Vyomji Ati sunder
    naveen upmao v chando ka anutha samagam dekhte hi banta hai beshak man gad gad ho gaya

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  7. आदरणीय व्योम जी,

    इतनी सुन्दर रचना के माध्यम से बधाई पहुँची और मन स्वत: ही गुनगुना उठा-- सौ सौ बार बधाई
    । धन्यवाद।

    शशि पाधा

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  8. रस, लय, बिम्ब, प्रतीक, भाषा हर कसौटी पर खरा शेष्ठ नवगीत, साधुवाद.

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  9. सुन्दर रचना |
    बहकी गंध-भरी पुरवाई / उलझी गुत्थीं चोंच मिलाकर खोलें / चन्द्र-ग्रहण ने की अगुआई
    बेहतरीन पंक्तियाँ लगी |

    बधाई |

    अवनीश तिवारी

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  10. डा० व्योम ने बहुत सुन्दर नवगीत के माध्यम से नये वर्ष की शुभकामनायें दी हैं धन्यबाद

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