पीत पीत हुए पात, सिकुड़ी सिकुड़ी सी रात
ठिठुरन का अंत आ गया।
देखो वसंत आ गया।।
मादक सुगंध से भरी, पंथ-पंथ आम्र मंजरी
कोयलिया कूक कूक कर, इठलाती फिरे बावरी
जाती है जहाँ दृष्टि, मनहारी सकल सृष्टि
लास्य दिगदिगंत छा गया।
देखो वसंत आ गया।।
शीशम के तारुण्य का, आलिंगन करती लता
रस का अनुरागी भ्रमर, कलियों का पूछता पता
सिमटी-सी खड़ी भला, सकुचाई शकुंतला
मानो दुष्यंत आ गया।
देखो वसंत आ गया।।
पर्वत का ऊँचा शिखर, ओढ़े है किंशुकी सुमन
सरसों के फूलों भरा, मोहक वासंती उपवन
करने कामाग्नि दहन, केसरिया पहन वसन
मानो कोई संत आ गया
देखो वसंत आ गया।।
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शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
"सुन्दर रचना"
जवाब देंहटाएंप्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com
peet peet hue paat,sikudi sikudi si raat
जवाब देंहटाएंthithuran ka ant a gayaa
dekho vasant aa gayaa
guruvar Shastri Nityagopal Katare kee ke in rasbhari panktiyon ke saath beshak basant aa gayaa.
bahut bahut badhaee apko
नवगीत सुन्दर है!
जवाब देंहटाएंछा गया गया बसंत ....आपकी
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना के साथ ही....सुस्वागतम...
आहा !!
केसरिया पहन वसन
मानो कोई संत आ गया
देखो वसंत आ गया।।
बधाई आपको शास्त्री जी और
शुभ-कामनाएँ
गीता पंडित
शुभारंभ!
जवाब देंहटाएंअति क्लिष्टारंभ!
मधुकर का सोच जब अटक गया!
मस्तिष्क की वीथियों में भटक गया!!
भंगुरित कृदंत पा गया!
अनुरणित वसंत आ गया!!
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कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "वसंत फिर आता है - मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा! "
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संपादक : सरस पायस
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
अति सुंदर!
जवाब देंहटाएं"सरसों के फूलों भरा,मोहक वासंती उपवन
वसंत आ गया"
कोकिल ने आम्र कुञ्ज मैं
पंचम राग सुनाई --
आज बसंत बधाई
बहुत सुन्दर नवगीत है।
जवाब देंहटाएंइतनी सुन्दर रचना से वास्तव में बसन्त का आभास हो गया है।बधाई हो।
धन्यवाद
basant par sundar abhivykti hai
जवाब देंहटाएंधरती के कण-कण को वसन्तमय करती हुई एक उत्त्कृष्ट रचना है आपकी। और दुश्यन्त तथा सन्त की उपमा तो अनुपम है। बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसादर,
शशि पाधा
वाह ! बहुत सुन्दर गीत है |
जवाब देंहटाएंबसंत आगमन का उल्लास पूर्णरूपेण झलकता है |
अवनीश तिवारी
सरस, सार्थक नवगीत. असम्यक शब्द संयोजन, अछूते प्रतीक, मौलिक बिम्ब, साधुवाद.
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