नाच उठा मन बाँध पैंजनी
ठुमक थिरक हुलसाया
काँधों पर फागुन को लादे
लो, बसंत आया
अधरों पर चुम्बन सा
आकर बैठा मधुरिम हास
बाँहें फैला कर उन्मादी
हठी हुआ उल्लास
मन के गली-गलिहारों को
बासंती रंगवाया
कलियों को अंगराग लगाता
गात गात में गंध
मन ही मन हुलसाता
तोड़े हौले हौले बंध
सूनी रेतीली वीथि में
फिर उमंग छाया
मन के मदिर मंजीरे
बोले मीठे मीठे बोल
नयनकोण में भाव रेशमी
करने लगे किलोल
तोड़े सारे फंद कहाँ
यह मन-तुरंग धाया
काँधों पर फागुन को लादे
लो ,बसंत आया
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प्रवीण पंडित
होली की शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंआपको तथा आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ.nice
जवाब देंहटाएंमन के मदिर मंजीरे
जवाब देंहटाएंबोले मीठे मीठे बोल
नयनकोण में भाव रेशमी
करने लगे किलोल
तोड़े सारे फंद कहाँ
यह मन-तुरंग धाया
काँधों पर फागुन को लादे
लो ,बसंत आया
वाह वाह। अति सुन्दर।
सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
विमल कुमार हेडा
मन के मदिर मंजीरे
जवाब देंहटाएंबोले मीठे मीठे बोल
नयनकोण में भाव रेशमी
करने लगे किलोल
तोड़े सारे फंद कहाँ
यह मन-तुरंग धाया
man prano ko taranit karat ek ati sunder navgeet
badhaeeho
तोड़े सारे फंद कहाँ
जवाब देंहटाएंयह मन-तुरंग धाया
वाह...वाह... मजा आ गया. रम्य रचना.
नाच उठा मन बाँध पैंजनी,
जवाब देंहटाएंमधु वसंत के साथ,
सुनाए गीत फागुनी,
गीत की मधुर रागिनी!
काँधों पर फागुन को लादे
जवाब देंहटाएंलो ,बसंत आया
v.nice.
(ऋतुराज के पुष्प
जवाब देंहटाएंधनुष की)
'प्रत्यंचा टूट गई
छूट गए फूलों के वाण'
बढ़िया है.
"नयनकोण में भाव रेशमी
जवाब देंहटाएंकरने लगे किलोल
तोड़े सारे फंद कहाँ
यह मन-तुरंग धाया
काँधों पर फागुन को लादे
लो ,बसंत आया "
प्रवीण जी,बहुत ही सुन्दर कल्पना है। बधाई इतने सुन्दर गीत के लिये ।
शशि पाधा
मन के मदिर मंजीरे
जवाब देंहटाएंबोले मीठे मीठे बोल
नयनकोण में भाव रेशमी
करने लगे किलोल
तोड़े सारे फंद कहाँ
यह मन-तुरंग धाया
काँधों पर फागुन को लादे
लो ,बसंत आया
सुंदर रचना के लियें
आपको बधाई...