ऋतु वसन्त तुम आओ ना
वासन्ती रंग बिखराओ ना
उजड़ रही आमों की बगिया
बौर नये महकाओ ना
सूनी वन -उपवन की डालें
कोयल को बुलवाओ ना।
नूतन गीत सुनाओ ना,
ओ वसन्त तुम आओ ना
ऊँचे -ऊँचे महलों में,
देखो जाम छ्लकते हैं
कहीं अँधेरी झोपड़ियों में
दुधमुँहे रोज बिलखते हैं
कुटिया के बुझते दीपक को , बनकर तेल जलाओ ना
भूखी माँ के आँचल में तुम, दूध की धार बहाओ ना
प्रिय वसन्त तुम आओ ना
कोई धोता जूठे बर्तन,
कोई कूड़ा बीन रहा।
पेट की आग मिटाने को,
रोटी कोई छीन रहा
काम पे जाते बच्चे के, हाथों में किताब थमाओ ना
घना अँधेरा छाया है, तुम ज्ञान के दीप जलाओ ना
प्रिय वसंत तुम आओ ना
भटक रहा अपनी मंजिल से,
मतवाला युवा नशे में गुम है
देख पिता की फट रही छाती,
माँ की आँखें हुईं नम है
बिखर रहे सपने घर-घर के, फ़िर से उन्हें सजाओ ना
बहुत उदास हैं सारे आँगन,तुम खुशबू बन जाओ ना
प्रिय वसन्त तुम आओ ना
पीली चूनर से सरसों ने
धरती यह सजाई है
पीले पात झर चुके तरु के
हर कोंपल मुस्काई है
आओ कली बन मानव मन में, प्रेम के फ़ूल खिलाओ ना
त्रिविध बयार बहाओ ना,ॠतु वसंत तुम आओ ना
प्रिय वसन्त तुम आओ ना
--
कमला निखुर्पा
कोई धोता जूठे बर्तन,
जवाब देंहटाएंकोई कूड़ा बीन रहा।
पेट की आग मिटाने को,
रोटी कोई छीन रहा
काम पे जाते बच्चे के, हाथों में किताब थमाओ ना
घना अँधेरा छाया है, तुम ज्ञान के दीप जलाओ ना
प्रिय वसंत तुम आओ ना
भटक रहा अपनी मंजिल से,
मतवाला युवा नशे में गुम है
देख पिता की फट रही छाती,
माँ की आँखें हुईं नम है
बिखर रहे सपने घर-घर के, फ़िर से उन्हें सजाओ ना
बहुत उदास हैं सारे आँगन,तुम खुशबू बन जाओ ना
प्रिय वसन्त तुम आओ ना
yatharth se labrej ek our navgeet
thank you for this rare feeling through spring song
bhut pasan aaya
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंआपको बधाई...
बसंत से कुरीतियाँ मिटाने की गुहार , बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति , धन्यवाद
जवाब देंहटाएंविमल कुमार हेडा
बहुत उदास हैं सारे आँगन,तुम खुशबू बन जाओ ना
जवाब देंहटाएंप्रिय वसन्त तुम आओ ना
nice.
इस नवगीत में प्रकृति से
जवाब देंहटाएंबहुत संदर ढंग से मनुहार की गई है!
प्रकृति के साथ-साथ
समाज पर व्याप्त बुराइयों के प्रति चिंतन भी
इसे महत्त्वपूर्ण बनाता है!
--
मात्राओं की विसंगति के कारण
गेयता में कुछ खटक है!
सामाजिक विषमताओं की ओर संकेत करते हुए वसन्त से आने के निमन्त्रण की भावना से ओतप्रोत अच्छा लगा आपका यह नवगीत ।
जवाब देंहटाएंबधाई तथा धन्यवाद ।
शशि पाधा
कमला जी!
जवाब देंहटाएंआपका स्वागत है. अच्छा प्रयास है किन्तु रचना नवगीत की अपेक्षा गीत के अधिक निकट है. छंद कहीं-कहीं कमजोर है
आप सभी का धन्यवाद ... दिव्या नर्मदाजी आपकी टिप्पणी मन को भा गयी ... अब छंद विधान जरूर देखूंगी .
जवाब देंहटाएंआप सभी के स्नेह और सुझावों का आभार | मुझे आज पता चला कि आपको मेरी टूटीफूटी रचना भाई है |
जवाब देंहटाएंआप सभी का धन्यवाद ... दिव्या नर्मदाजी आपकी टिप्पणी मन को भा गयी ... अब छंद विधान जरूर देखूंगी .
जवाब देंहटाएं