10 मार्च 2010

२३- आई बसंत ऋतु आई : रचना श्रीवास्तव

सर्दी ने समेटी ली चादर
रस से भरी
धरा की गागर
फूलों ने जो शौल हटाया
मंद सुगंध का
झोका आया
मौसम हँसा भरी अंगड़ाई
आई बसंत ऋतु आई

सूरज ने लिहाफ से झाँका
अम्बर बोला
बाहर आजा
झोले में भर सारा कोहरा
शिशिर चल दिया
ज़रा न ठहरा
धूप गुनगुनी हुई सुहाई
आई बसंत ऋतु आई

करने लगी धरा शृंगार
डाले गले
बसन्ती हार
क्यारी क्यारी फूल खिले
अंबर धरती
गले मिले
धानी चुनर उड़ी लहराई
आई बसंत ऋतु आई

--
रचना श्रीवास्तव

15 टिप्‍पणियां:

  1. मन को
    सरस बनाता हुआ
    बहुत रस-भरा नवगीत है!

    --
    फूलों ने जब शॉल हटाया
    मधु सुगंध का
    झोंका आया,
    मौसम हँसा, भरी अँगड़ाई!
    आई, ऋतु बसंत की आई!!
    --
    कुछ सुधार अपेक्षित है!

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  2. सूरज ने लिहाफ से झाँका
    अम्बर बोला
    बाहर आजा
    झोले में भर सारा कोहरा
    शिशिर चल दिया
    ज़रा न ठहरा
    धूप गुनगुनी हुई सुहाई
    आई बसंत ऋतु आई

    करने लगी धरा शृंगार
    डाले गले
    बसन्ती हार
    क्यारी क्यारी फूल खिले
    अंबर धरती
    गले मिले
    धानी चुनर उड़ी लहराई
    आई बसंत ऋतु आई
    swaagat,suswagat
    Rachana aap mujhe Anubhuti ke madhyam se pahle bhee ruchti raheen hai .haan is geet ko padh kar kisi kee bhee ruchi ap me bejhijhak badh jaaegee.

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  3. धानी चुनर उड़ी लहराई
    आई बसंत ऋतु आई.nice

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  4. मौसम हँसा भरी अंगड़ाई
    आई बसंत ऋतु आई

    सुंदर....

    रचना जी बधाई...

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  5. करने लगी धरा शृंगार
    डाले गले
    बसन्ती हार
    क्यारी क्यारी फूल खिले
    अंबर धरती
    गले मिले
    धानी चुनर उड़ी लहराई
    आई बसंत ऋतु आई
    यह पँक्तियां बहुत ही सरस एवं मधुर लगीं ।
    बधाई रचना जी।
    शशि पाधा

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  6. डाले गले
    बसन्ती हार

    सुंदर....

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  7. धानी चुनर उड़ी लहराई
    आई बसन्त ॠतु आई

    उत्तम अति उत्तम
    बधाई हो रचना,

    जवाब देंहटाएं
  8. करने लगी धरा शृंगार
    डाले गले
    बसन्ती हार
    क्यारी क्यारी फूल खिले
    अंबर धरती
    गले मिले
    धानी चुनर उड़ी लहराई
    आई बसंत ऋतु आई

    बहुत ही सुन्दर पंक्तिया, रचना जी को बहुत बहुत बधाई , धन्यवाद,
    विमल कुमार हेडा

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  9. विमल कुमारji,
    Just wondering why you commit anonymously when you sign with your name as Vimal Kumar Heda!

    Pl do not mind.

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  10. सूरज ने लिहाफ से झाँका
    अम्बर बोला
    बाहर आजा
    झोले में भर सारा कोहरा
    शिशिर चल दिया
    ज़रा न ठहरा
    धूप गुनगुनी हुई सुहाई
    आई बसंत ऋतु आई
    ati sunder
    hema

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  11. दिवस बड़े और
    रैना छोटी
    चुहल करे
    नयनों की गोटी,
    सजन-सजनिया
    होली में मिल
    रंग जमायो रे!
    फागुन आयो रे!

    उलझा जग का
    तानाबाना
    कभी कोई
    कभी कोई निशाना,
    उजड़े लोगों में
    दोबारा
    आस जगायो रे!
    फागुन आयो रे!
    Aisa ek matra geet jiske harek shabd me madhumas piroya hai hardik badhaee sidhhu bhaee

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  12. aap sabhi ne geet pasand kiya aur apne vichar likhe aap sabhi ka dhnyavad
    rachana

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  13. . अच्छी रचना. मन भायी. देशज शब्दों का प्रयोग प्रयोग अधिक हो तो नवगीत अधिक आनंद देगा.

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  14. मधुरता से ओतप्रोत नवगीत । बधाई हो रचना जी । रामेश्वर काम्बोज

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