12 मार्च 2010
२५- देखो सजी रंगोली : वंदना सिंह
अलियों का गुंजन, दस्तक दे फागुन!
रंग और खुशबू ले आया पाहुन!
गुलाब कहीं,
कहीं गुलदाउदी
साथ गेंदों के सरसों भी फूली
लाल पीली
नारंगी नीली
धरती पर देखो सजी रंगोली
बौर अमियों पर
महकाया मधुवन
अलियों का गुंजन, दस्तक दे फागुन!
चंपा चमेली
महके पराग
वैभव बिखराए कचनार पलाश
हँसता झरे
जब हारसिंगार
स्वागत को आतुर करता परिहास
बंशी कोकिल की
गूँजी वन प्रांगण
अलियों का गुंजन, दस्तक दे फागुन!
चहुंदिश फैली
इस उमंग में
ले चलें उधार कुछ तो फूलों से
आओ धरा पर
हम भी बॉंटे
सुवासित प्रेम से सजी मुस्कानें
संदेश नेह का
बरसे हर ऑंगन
अलियों का गुंजन, दस्तक दे फागुन!
--
वंदना सिंह
Labels:
कार्यशाला : ०७
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
सुन्दर गीत फागुनी रंग से लबरेज
जवाब देंहटाएंसचमुच सजी रंगोली,
जवाब देंहटाएंमझसे ख़ुशबू बोली!
--
हँसकर हरसिंगार सजाता,
वसुधा का शुभ आँगन!
--
ज्यों दस्तक देता है फागुन,
ख़ुशबू लेकर आए पाहुन,
अलि लेकर आए गुंजन!
--
सुंदर है नवगीत सजाया,
रवि के मन को भाया!
बहुत सुंदर गीत फ़ागुन के रंगो मे रंगा
जवाब देंहटाएंसुंदर नवगीत है
जवाब देंहटाएंचंपा चमेली
जवाब देंहटाएंमहके पराग
वैभव बिखराए कचनार पलाश
हँसता झरे
जब हारसिंगार
स्वागत को आतुर करता परिहास
बंशी कोकिल की
गूँजी वन प्रांगण
अलियों का गुंजन, दस्तक दे फागुन!
बसंत का सुन्दर चित्रण, बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद,
विमल कुमार हेडा
चंपा चमेली
जवाब देंहटाएंमहके पराग
वैभव बिखराए कचनार पलाश
हँसता झरे
जब हारसिंगार
स्वागत को आतुर करता परिहास
बंशी कोकिल की
गूँजी वन प्रांगण
अलियों का गुंजन, दस्तक दे फागुन!
jyon jyo padhta gaya man prano me utarta gaya apka geet.yon hi banagae rakhie rachnasheelta kee reet
बंशी कोकिल की
जवाब देंहटाएंगूँजी वन प्रांगण
अलियों का गुंजन, दस्तक दे फागुन!
संदेश नेह का
बरसे हर ऑंगन
अलियों का गुंजन, दस्तक दे फागुन!
मधुर भाव लगे वंदना जी । धन्यवाद ।
शशि पाधा
भाव तथा कथ्य अच्छा है पर शब्दों में ग्रामीण या जमीनी प्रभाव अधिक हो तो अधिक निखार आ सकेगा.
जवाब देंहटाएं