13 मार्च 2010

२६- घर लौट आओ : श्याम सखा श्याम


आई बसन्त
जाड़ा उड़न्त
घर लौट आओ
प्रिय कन्त

लो जाड़े का
हठ टूटा
तन से ऊनी
केंचुल छूटा
बसन्त है ऋतुराज सुमन्त

कलियों की
फ़ूटी मुस्कान
तितली
मांग रही लगान
भौंरे भी आ गये तुरन्त

पगलाई फिर रही
बयार
ठूंठों पर
मचली बहार
बहके-महके से दिग-दिगन्त
--
श्याम सखा श्याम

11 टिप्‍पणियां:

  1. लो जाड़े का
    हठ टूटा
    तन से ऊनी
    केंचुल छूटा
    बहुत सुन्दर चित्रण्

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  2. पगलाई फिर रही
    बयार
    ठूंठों पर
    मचली बहार
    बहके-महके से दिग-दिगन्त
    वाह जी बहुत सुंदर लगी आप की यह कविता

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  3. लो जाड़े का
    हठ टूटा
    तन से ऊनी
    केंचुल छूटा
    Bahut khoob. badhiya hai.

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  4. कलियों की
    फ़ूटी मुस्कान
    तितली
    मांग रही लगान
    भौंरे भी आ गये तुरन्त

    बसंत का सुन्दर चित्रण, बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद,
    विमल कुमार हेडा

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  5. लो जाड़े का
    हठ टूटा
    तन से ऊनी
    केंचुल छूटा
    बसन्त है ऋतुराज सुमन्त

    कलियों की
    फ़ूटी मुस्कान
    तितली
    मांग रही लगान
    भौंरे भी आ गये तुरन्त

    पगलाई फिर रही
    बयार
    ठूंठों पर
    मचली बहार
    बहके-महके से दिग-दिगन्त
    kam se kam shabdon me jo madhumas ki jhadi lagaee hai ,usase to lagta bour kee mahak tikole me
    simat aaee hai,islie apko shyamji kotishah badhaaee hai

    जवाब देंहटाएं
  6. लो जाड़े का
    हठ टूटा
    तन से ऊनी
    केंचुल छूटा
    बसन्त है ऋतुराज सुमन्त

    कलियों की
    फ़ूटी मुस्कान
    तितली
    मांग रही लगान
    भौंरे भी आ गये तुरन्त

    पगलाई फिर रही
    बयार
    ठूंठों पर
    मचली बहार
    बहके-महके से दिग-दिगन्त
    kam se kam shabdon me jo madhumas ki jhadi lagaee hai ,usase to lagta bour kee mahak tikole me
    simat aaee hai,islie apko shyamji kotishah badhaaee hai

    जवाब देंहटाएं
  7. लो जाड़े का
    हठ टूटा
    तन से ऊनी
    केंचुल छूटा
    बसन्त है ऋतुराज सुमन्त

    कलियों की
    फ़ूटी मुस्कान
    तितली
    मांग रही लगान
    भौंरे भी आ गये तुरन्त

    पगलाई फिर रही
    बयार
    ठूंठों पर
    मचली बहार
    बहके-महके से दिग-दिगन्त
    --
    nape tule shabdon me jo baharo kee jhadi lagaaee hai, usase lagta hai bour ke mahak tikole me simat aaee hai
    islie shyamji apko kotishah badhaaee hai

    जवाब देंहटाएं
  8. पगलाई फिर रही
    बयार
    ठूंठों पर
    मचली बहार
    बहके-महके से दिग-दिगन्त


    सुन्दर....

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  9. आनंद मिला. कम लिखे को अधिक समझना की तरह प्रभावी.

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  10. पगलाई फिर रही
    बयार
    ठूंठों पर
    मचली बहार
    बहके-महके से दिग-दिगन्त
    सुन्दर लगीं यह पँक्तियां। बधाई ।

    शशि पाधा

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  11. 'आई बसन्त' के स्थान पर आया बसन्त होता तो अच्छा रहता ।

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