3 मार्च 2010

१७- फागुन रीता जाए ना : पूनम श्रीवास्तव


सुबह बसंती साँझ फागुनी
मौसम भीना भीना सा
इंतजार में तेरे साजन
फागुन रीता जाए ना

ऋतु बदली मलयानिल आई
सुबह शाम छाई तरुणाई
तेरे बिना एक पल भी अब
मेरे जी को भाए ना

संग सहेली इतराती हैं
मंद मंद होली गाती हैं
हँसी ठिठोली उनकी निसदिन
जबरन जिया जलाए ना

फगुनाहट की मधुर फुहारें
तन-मन पर कठिनाई वारें
भँवरा गुन गुन गुंजारों से
मन में तीर चुभाए ना।

--
पूनम श्रीवास्तव

7 टिप्‍पणियां:

  1. संग सहेली इतराती हैं
    मंद मंद होली गाती हैं
    हँसी ठिठोली उनकी निसदिन
    जबरन जिया जलाए ना

    फगुनाहट की मधुर फुहारें
    तन-मन पर कठिनाई वारें
    भँवरा गुन गुन गुंजारों से
    मन में तीर चुभाए ना।

    in panktiyon ne nihsandeh rango ki bauchhar kar di hai

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  2. सुन्दर रचना बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद
    विमल कुमार हेडा

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  3. संग सहेली इतराती हैं
    मंद मंद होली गाती हैं
    हँसी ठिठोली उनकी निसदिन
    जबरन जिया जलाए ना

    फगुनाहट की मधुर फुहारें
    तन-मन पर कठिनाई वारें
    भँवरा गुन गुन गुंजारों से
    मन में तीर चुभाए ना।
    banjar me anurag ke beej bonevaalaa ek anutha navgeet
    bas prem prag kee yeh bouchhad banae rakhie
    dhnyavaad

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  4. पल-पल
    प्रतीक्षा साजन की
    कर रही सजाए प्रीत रात!
    आया वसंत, फागुन आया,
    आए साजन मधु हुई बात!
    अब करो मीत का मन महेश,
    तुम उसकी पारो बन जाओ!
    अब तो हँसकर तुम कुछ गाओ!

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  5. सरस गीत. बासंती हुलास से मन को सराबोर कर गया.

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  6. सुबह बसंती साँझ फागुनी
    मौसम कैसे भाए रे
    इंतजार में तेरे साजन
    फागुन रीता जाए रे
    हँसी ठिठोली उनकी निसदिन
    जबरन याद सताए रे
    -पूनमजी
    बहुत सुंदर है यह मीठी मीठी चुभन!

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  7. वसन्त के सौन्दर्य से भीगा भीगा यह गीत अच्छा लगा। धन्यवाद तथा बधाई ।
    शशि पाधा

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