तारों के अम्बर में चाँद के समान
कमल भी कुमुदिनी को बाँट रहा ज्ञान
कमल पुष्प कर में ले
मुख में हरि जाप किये
मंदिर की सीढ़ी पर
मद्धिम पद चाप लिए
नन्हे डग भरती है तोतली जबान
हाँथ से फिसल जाता सारा सामान
जीवन दर्शन से जो बिल्कुल अज्ञान
कमल पुष्प देता कोमलता का ज्ञान
झींगुर की एक सभा
पावस की रुन झुन झुन
उस पर मादक मयूर
पेयों पेयों की धुन
वर्षा के मौसम का मधुर मधुर गान
झाँक रहा खिड़की से खुला आसमान
दुनिया के नियमों का जिन्हें नहीं ध्यान
कमल पुष्प देता सुंदरता वरदान
--
प्रताप सिंह
(जम्मू)
कमल भी कुमुदिनी को बाँट रहा ज्ञान
कमल पुष्प कर में ले
मुख में हरि जाप किये
मंदिर की सीढ़ी पर
मद्धिम पद चाप लिए
नन्हे डग भरती है तोतली जबान
हाँथ से फिसल जाता सारा सामान
जीवन दर्शन से जो बिल्कुल अज्ञान
कमल पुष्प देता कोमलता का ज्ञान
झींगुर की एक सभा
पावस की रुन झुन झुन
उस पर मादक मयूर
पेयों पेयों की धुन
वर्षा के मौसम का मधुर मधुर गान
झाँक रहा खिड़की से खुला आसमान
दुनिया के नियमों का जिन्हें नहीं ध्यान
कमल पुष्प देता सुंदरता वरदान
--
प्रताप सिंह
(जम्मू)
प्रकृति का सुन्दर चित्रण किया है...सुन्दर नवगीत
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर नवगीत है!
जवाब देंहटाएंकमल पुष्प कर में ले
जवाब देंहटाएंमुख में हरि जाप किये
मंदिर की सीढ़ी पर
मद्धिम पद चाप लिए
नन्हे डग भरती है तोतली जबान,
एक एक शब्द चुन चुन कर प्रयोग किया गया है , ऐसा लगता है जैसे सुबह की बेला मे ताजे-ताजे फूलो को लेकर एक सुंदर माला बना दिया गया हो, बहुत ही सुंदर प्रयास और उत्तम रचना ,बधाई हो प्रताप सिंह जी इस खुबसूरत और सुगन्धित रचना के लिये ,
राणा भाई, इस नवगीत की एक एक पक्न्ति में कमल की मनमोहिनी सुन्दरता विद्यमान है ! दिल से बधाई देता हूँ इस सार्थक काव्य प्रयास के लिए !
जवाब देंहटाएंइतनी सुन्दर प्राकृतिक सुकोमलता की रचना प्रकृति कि गोंद में रहकर ही लिखी जा सकती है . बधाई !
जवाब देंहटाएंएक सुन्दर पारम्परिक गीत। सौन्दर्य को गीत में ढालना आसान होता है पर सौन्दर्य ही जीवन का सत्य नहीं है। वैसे तो नवगीत के बारे में मैने पहले भी पढा था, पर मेरे गीत पर आयी प्रतिक्रियाओं के बाद इस पर और भी पढाई की। जब शम्भुनाथ सिंह ने नवगीत का आन्दोलन चलाया था और दो दर्जन नवगीतकारों को नवगीत दशक और नवगीत अर्धशती में शामिल किया था, तब जिस नवगीत घोषणापत्र को जारी किया गया था, उसमें युगबोध और बदलते जीवन मूल्यों की गीतात्मक अभिव्यक्ति को नवगीत माना गया। शैलीगत और भाषागत प्रयोग सहायक सामग्री की तरह समझे जाते थे। कितना कठिन है असुन्दर को, अजनबीपन को, अग्राह्य को, अस्थिरता को गीत की आत्मा में ढालना। पर यहां नवगीत की पाठशाला में शामिल कुछेक गीतों को छोड़कर अधिकांश गीतों में कोमलकांत पदावली, प्राकृतिक चित्रण और अलंकरण को ही नवगीत के प्रमुख तत्व के रूप में स्वीकार करके आलोचना हो रही है। यह तो गीत के विधान हैं, नवगीत के नहीं। पूर्णिमा जी, आप को नवगीत के मानक और भी स्पष्ट करने के लिये अलग से कार्यशालायें आयोजित करनी पड़ेंगी।
जवाब देंहटाएंaapki kavita bhi komalta se dag bharti aage badh rahi hai bahut bahut badhai
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
विमल कुमार हेड़ा
सुंदर नवगीत, कमल का ज्ञानी रूप भली भाँति विभिन्न चित्रों में प्रस्तुत किया गया है। स्थायी में चाँद - तारों के साथ कमल और कमलिनी की शोभा की उपमा नई और स्वाभाविक है। पहले अंतरे में पूजा का सामान लेकर सीढ़ियों पर चढ़ते हुए बालक के क्रिया कलाप को एक पंक्ति में बड़े ही चित्रात्मक रूप से प्रस्तुत किया गया है और स्थायी से जुड़ते हुए ज्ञान की बात को आगे बढ़ाया गया है। दूसरे अंतरे में प्रकृति चित्रण है पर कमल का ज्ञान रूप छूटा नहीं है। यही इस नवगीत की विशेषता है। बधाई प्रताप सिंह जी।
जवाब देंहटाएंwaah rana bhai waah....bahut hi badhiya likha hai aapne
जवाब देंहटाएंगीत में नवता का तत्व न्यून होने पर भी मधुरता बाँधती है.
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