जनमानस जिस कमल पुष्प को
देवालय में चढ़ा रहा है
अपने जीवन से कितने ही
पाठ हमें वह पढ़ा रहा है
आज़ादी के प्रथम समर का
वीरों ने था बिगुल बजाया
सोयी जनता जाग पड़ी और
क्रांति का इक परचम लहराया
एक समय ऐसा आया जब
क्रांति शिखर को चूम रही थी
प्रतीक बन तब उसी क्रांति का
कमल, चपाती घूम रही थी
वही कमल बन राष्ट्र पुष्प अब
देश की शोभा बढ़ा रहा है
विपदाएं कितनी भी आएँ
शेष ना आशाएं राह जाएँ
क्षुधा, गरीबी, और लाचारी
कितने भी रोड़े अटकाएँ
कठिन परिश्रम, सम्यक चिंतन
आओ सम्बल इन्हें बनायएँ
हम अपनी मुठ्ठी ना भीचें
सीख सकें तो कमल से सीखें
जो ऋतुओं की मार झेलकर
कीचड में भी खड़ा रहा है
--
राणा प्रताप सिंह
(नैनी, इलाहाबाद)
देवालय में चढ़ा रहा है
अपने जीवन से कितने ही
पाठ हमें वह पढ़ा रहा है
आज़ादी के प्रथम समर का
वीरों ने था बिगुल बजाया
सोयी जनता जाग पड़ी और
क्रांति का इक परचम लहराया
एक समय ऐसा आया जब
क्रांति शिखर को चूम रही थी
प्रतीक बन तब उसी क्रांति का
कमल, चपाती घूम रही थी
वही कमल बन राष्ट्र पुष्प अब
देश की शोभा बढ़ा रहा है
विपदाएं कितनी भी आएँ
शेष ना आशाएं राह जाएँ
क्षुधा, गरीबी, और लाचारी
कितने भी रोड़े अटकाएँ
कठिन परिश्रम, सम्यक चिंतन
आओ सम्बल इन्हें बनायएँ
हम अपनी मुठ्ठी ना भीचें
सीख सकें तो कमल से सीखें
जो ऋतुओं की मार झेलकर
कीचड में भी खड़ा रहा है
--
राणा प्रताप सिंह
(नैनी, इलाहाबाद)
सहज, शालीन एवं सटीक- क्या कहने
जवाब देंहटाएंkamal ka aitihasik mahtv batate hue aapne jijivisha ki or sanket kiya bhav sahit navgeet bahut achchha laga
जवाब देंहटाएंविपदाएं कितनी भी आएँ
जवाब देंहटाएंशेष ना आशाएं राह जाएँ
क्षुधा, गरीबी, और लाचारी
कितने भी रोड़े अटकाएँ
कठिन परिश्रम, सम्यक चिंतन
आओ सम्बल इन्हें बनायएँ
ज्ञान की अलख जगाती एक अनूठी रचना, राण प्रताप सिंह जी की ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी।
बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद
विमल कुमार हेड़ा
कठिन परिश्रम, सम्यक चिंतन
जवाब देंहटाएंआओ सम्बल इन्हें बनायएँ
हम अपनी मुठ्ठी ना भीचें
सीख सकें तो कमल से सीखें
जो ऋतुओं की मार झेलकर
कीचड में भी खड़ा रहा है
--
राणा प्रताप जी....
सुंदर भाव....
सुंदर नवगीत...
आभार
गीता
बहुत अच्छा लगा यह नवगीत...
जवाब देंहटाएंकठिन परिश्रम, सम्यक चिंतन
जवाब देंहटाएंआओ सम्बल इन्हें बनायएँ
हम अपनी मुठ्ठी ना भीचें
सीख सकें तो कमल से सीखें
प्रतापजी आपका यह गीत निःसंदेह प्रेरणपूर्ण
उपर्युक्त पंक्तियों में तो आपका प्रताप देखते
ही बनता है कोटिषः बधाई।
बहुत अच्छा प्रयत्न है राणा प्रताप जी, आप पहली बार कार्यशाला में भाग ले रहे हैं और पहली ही बार बहुत अच्छी रचना के साथ प्रवेश किया है। बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar tarike se likha hai aapne ranajee....bahut khub,,,,dil khush ho gaya padhkar
जवाब देंहटाएंस्वागत है. नवगीत में राष्ट्रीय भाव धारा का स्पर्श कथ्य को नवता का स्पर्श देता है, अच्छे प्रयास हेतु बधाई.
जवाब देंहटाएंराणा प्रताप जी ...स्वाधीनता संग्राम के इस क्रांति पुष्प पर बहुत ही सुन्दर एवं ओजश्वी काब्यांजलि के लिए आपको कोटि कोटि शुभकामनायें एवं बधाईयां...
जवाब देंहटाएं