मोरनी सुन यह धुन
लगे जैसे
घन बजे
मन मयूर नाचे वन
सुन बूँदों की रुनझुन
दादुर, झींगे, महोख
राग पैजनि
पग बजे
है मखमली घास में
लिपटी धरा मोहती
खेत मे हैं खेतिहर
हर कहीं पर
हर सजे
आसमाँ में लग गई
चित्रकला प्रदर्शनी
सतरंगी धनुष के संग
अश्व हाथी
रथ सजे
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उत्तम द्विवेदी
सुन्दर अभिव्यक्ति। दुर्गा पूजा की बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंगागर में सागर... रुचिकर है.
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