बहुत दिन के बाद
महका मन
सिलबटें कम की समय ने
एक ठंडक पी
लहलहाने लगा उर का
विपिन दंडक भी
मुदित चिड़ियों-सा
प्रकृति के साथ
चहका मन
मिल गई पर्यावरण को
शुद्ध आक्सीजन
इस तरह से कुछ हुआ
ॠतु-चक्र परिवर्तन
डूबकर स्वप्निल
सुरा-सरि आज
बहका मन
--
पं. गिरिमोहन गुरु
गुरु जी!
जवाब देंहटाएंसादर नमन.
सिलबटें कम की समय ने
एक ठंडक पी
लहलहाने लगा उर का
विपिन दंडक भी
मुदित चिड़ियों-सा
प्रकृति के साथ
चहका मन
बहुत खूब. विपिन दंडक में ठंडक के दिन आरहे हैं और आपने अग्रिम ही उसका स्वागत कर दिया. साधुवाद. आपका नवगीत उअत्तम न होगा तो किसका होगा.
सिलबटें कम की समय ने
जवाब देंहटाएंएक ठंडक पी
लहलहाने लगा उर का
विपिन दंडक भी
मुदित चिड़ियों-सा
प्रकृति के साथ
चहका मन
bahut sunder
saader
rachana
मिल गई पर्यावरण को
जवाब देंहटाएंशुद्ध आक्सीजन
इस तरह से कुछ हुआ
ॠतु-चक्र परिवर्तन
डूबकर स्वप्निल
सुरा-सरि आज
बहका मन
--
पं. गिरिमोहन गुरु जी बहुत खूब.हार्दिक स्वागत और बधाई
सुन्दर नवगीत, बधाई।
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