मेघ छटे
नभ नीला-नीला हुआ
क्वाँर की हुई अवाई
राम-राम कर
कीचड़, पानी और
छतरी से छुट्टी पाई
ज्वाँर लगे खेतों में
दद्दा लगे घूमने
देख-देखकर धान
पिताजी ख़ुश हो जाते
तोड़-तोड़कर लाते भुट्टे
रोज़ भूनते,
पुरा पड़ोसवालों को
भरपेट खिलाते
अम्मा कहतीं सुनो-सुनो जी
बिना देर के,
देव उठनी के बाद
'शशि' की करो सगाई
दिखती सोयाबीन
चमकती सोने जैसी,
कैसी-कैसी बात
महकती रहती मन में
भौजी कहतीं मैं लूँगी
चाँदी की पायल
भैया सपने लेकर
उड़ते नीलगगन में
दद्दा बोले, हँसिया लेकर
चलो खेत में
मिल-जुलकर सब करें
धान की शुरू कटाई|
मझले कक्का जाते
हरदिन सुबह बगीचे,
काकी लिए कलेवा
पीछे-पीछे जातीं
छोटे कक्का अब तक
बिन ब्याहे बैठे हैं
मझली काकी हँसते-हँसते
उन्हें चिढ़ातीं
दद्दा के माथे पर
चिंता की रेखाएँ,
नहीं कहीं से बात
अभी रिश्ते की आई
--
प्रभु दयाल श्रीवास्तव
अति सुंदर रचना धन्यवाद
जवाब देंहटाएंमाटी की सुगंध से सराबोर इस अनूठे गीत ने तनमन को भावविभोर कर दिया
जवाब देंहटाएंहार्दिक स्वागत और बधाई भाई प्रभु दयाल श्रीवास्तवजी।
मझले कक्का जाते
हरदिन सुबह बगीचे,
काकी लिए कलेवा
पीछे-पीछे जातीं
छोटे कक्का अब तक
बिन ब्याहे बैठे हैं
मझली काकी हँसते-हँसते
उन्हें चिढ़ातीं
दद्दा के माथे पर
चिंता की रेखाएँ,
नहीं कहीं से बात
अभी रिश्ते की आई
--
पूरी तरह जमीन और जीवन से जुड़ा हुआ नवगीत. हार्दिक बधाई... घर-घर की चिंता और चिंतन पंक्ति-पंक्ति में अंतर्निहित किन्तु बिम्ब का आभाव सपाटबयानी का सा अनुभव कराता है.
जवाब देंहटाएंदिखती सोयाबीन
जवाब देंहटाएंचमकती सोने जैसी,
कैसी-कैसी बात
महकती रहती मन में
भौजी कहतीं मैं लूँगी
चाँदी की पायल
भैया सपने लेकर
उड़ते नीलगगन में
दद्दा बोले, हँसिया लेकर
चलो खेत में
मिल-जुलकर सब करें
धान की शुरू कटाई|
padhte huye sara drshya samne aata gaya .aap ki kavita bahut sunder aur sarthak hai
bahut bahut badhai
saader
rachana
सुन्दर नवगीत, बधाई।
जवाब देंहटाएंek achhe geet ke liye badhai
जवाब देंहटाएंrohit g. rusia
chhindwara