
झूम रही बालियाँ!
दीपों से भरी-भरी
थिरक रहीं थालियाँ!
भाभी मुंडेरों पर
दीपक सजाती हैं!
दीवाली पर ढेरों
ख़ुशियाँ ले आती हैं!!
भइया ने लाकर के
दीं मुझको फुलझड़ियाँ!
चहक उठीं ओंठों पर
मुस्कानों की लड़ियाँ!
भाभी भी झूम-झूम
गीत गुनगुनाती हैं!
दीवाली पर ढेरों
ख़ुशियाँ ले आती हैं!!
भाभी की आँखों में
सुंदर-सा सपना है!
मन के कोने में भी
प्रेम-दीप "सजना" है !
भाभी की सपनीली
आँखियाँ मुस्काती हैं!
दीवाली पर ढेरों
ख़ुशियाँ ले आती हैं!!
--
रावेंद्रकुमार रवि
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ!!!
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है!
जवाब देंहटाएं--
प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।
अपने मन में इक दिया नन्हा जलाना ज्ञान का।
उर से सारा तम हटाना, आज सब अज्ञान का।।
आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
भाभी मुंडेरों पर
जवाब देंहटाएंदीपक सजाती हैं!
दीवाली पर ढेरों
ख़ुशियाँ ले आती हैं!!
भइया ने लाकर के
दीं मुझको फुलझड़ियाँ!
चहक उठीं ओंठों पर
मुस्कानों की लड़ियाँ!
भाभी भी झूम-झूम
गीत गुनगुनाती हैं!
दीवाली पर ढेरों
ख़ुशियाँ ले आती हैं!!
sunder kavita
badhai
saader
rachana
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं....
जवाब देंहटाएंbadhiya rachna!
जवाब देंहटाएंshubh deepawali!
गीत बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंपरन्तु --"मन की महक"-related to क्वाँर की गुनगुनी होती धूप और धान की पकती हुई बालियों की सुगंध. विषय बदल दिया गया है
क्या अब विषय "दीपावली" कर दिया गया है
सराहनीय लेखन........हेतु बधाइयाँ...ऽ. ऽ. ऽ
जवाब देंहटाएंचिठ्ठाकारी के लिए, मुझे आप पर गर्व।
मंगलमय हो आपको, सदा ज्योति का पर्व॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
सुंदर रचना. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
achchhee prastuti.
जवाब देंहटाएंवाह ! देवर जी़ भाभी के प्रति पवित्र अभिव्यक्ति मन को रास आ गयी। सुन्दर रचना के लिये बधाई ।
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