उम्मीद नई
उत्कर्ष नया
हो मंगलमय
यह वर्ष नया
जब जब हम
तुमसे यार मिले
महसूस हो
पहली बार मिले
सांसो में
सरगम की लहरें
चाहत में
हो स्पर्श नया
अब द्वेष का लेश
न दिल में हो
दहशत न किसी
महफिल में हो
हर सांझ
अमन से हो रौशन
हर प्रात
लुटाए हर्ष नया
हर पल
संबल मुस्कान रहे
जिंदा हर इक
अरमान रहे
मंजिल की तरफ
एक और कदम
सपनों के लिए
संघर्ष नया
जो डाल
शजर से बिछड़ गए
जो फूल खिले बिन
बिखर गए
एक बार
उन्हें फिर संजोएं
इसबार यही
विमर्श नया
जाति मजहब
के खोल न हो
बदनाम
हमारे बोल न हो
हर ओर फले
भाईचारा
हम सबका
हो आदर्श नया
शंभु शरण मंडल
अच्छी रचना बधाई. आपको समर्पित कुछ पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंपा शम्भु-शरण हों
विषपायी.
हर पल, हर क्षण
जीवनदायी.
हो 'सलिल' तंत्र यह
विनत लगे-
जय लोक तंत्र
है उच्चारा...
सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंजो डाल
जवाब देंहटाएंशजर से बिछड़ गए
जो फूल खिले बिन
बिखर गए
एक बार
उन्हें फिर संजोएं
इसबार यही
विमर्श नया
bahut sunder likha hai
badhai
rachana
सुन्दर गीत के बधाई स्वीकार करें। सादर
जवाब देंहटाएंअब द्वेष का लेश
जवाब देंहटाएंन दिल में हो
दहशत न किसी
महफिल में हो
हर सांझ
अमन से हो रौशन
हर प्रात
लुटाए हर्ष नया
बधाई|
अद्भुत शंभू शरण जी अद्भुत
नव वर्ष का सूरज, बीते बर्ष का अंधेरा मिटाएगा,
जवाब देंहटाएंमत हो उदास सुबह आकर सवेरा मुस्कुराएगा.
चमन चमन फूल खिलेंगे,
भँवर् मे भी साहिल मिलेंगे.
गम का कहीं साया ना होगा,
देश मे कोई पराया ना होगा.
अंधे क़ानून की आँखो मे फिर से इंसाफ़ जगमगाएगा......
नव वर्ष का सूरज, बीते बर्ष का अंधेरा मिटाएगा,
मत हो उदास सुबह आकर सवेरा मुस्कुराएगा.
पी. के. ख्याल (pkkhyal@yahoo.com)
जाति मजहब
जवाब देंहटाएंके खोल न हो
बदनाम
हमारे बोल न हो
हर ओर फले
भाईचारा
हम सबका
हो आदर्श नया
शंभु शरण मंडल
आभार और
ढेर सारी बधाई आपको....
शुभ कामनाएँ...
गीता पंडित