नव वर्ष की पंखुड़ी पर
लिखें गीत सुनहरा
दिशाएँ मुखरित हो बोले
लगा न हो पहरा
आँखों की खिड़की से
आशा झाँके
हर चादर में हो
खुशियों के धागे
पत्तों की हरी किताब पर
लिखें सपना गहरा
अक्षर के मोती सजें
उन मासूम हाथों में
सच के तारे टके हो
सब की बातों में
प्यार की रागिनी बहे
छँटे घृणा का कोहरा
चूल्हे में गर्माहट हो
हाथों को काम
पनघट पर गोरी हँसे
चौपाल में शाम
न कोई पैदल न वजीर
बराबर हो हर मोहरा
-रचना श्रीवास्तव
इस कविता में तो लय ढूँढने से भी नहीं मिली। भाव अच्छे हैं मगर ये नवगीत की पाठशाला है कविता की नहीं। और ये रचना गीत नहीं है।
जवाब देंहटाएंपनघट पर गोरी हंसे,चौपाल पर शाम।
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई।
bahut sundar likha hai aapne
जवाब देंहटाएंbhut hi khubsoorat
जवाब देंहटाएंअक्षर के मोती सजें
जवाब देंहटाएंउन मासूम हाथों में
सच के तारे टके हो
सब की बातों में
प्यार की रागिनी बहे
छँटे घृणा का कोहरा .
- अक्षर के मोती और सच के तारे के सरस एवं प्रभावशाली प्रयोग ने नवगीत को और अधिक मधुर बना दिया है ।
श्री वास्तव में मिले, हो
जवाब देंहटाएंरचना ललित-ललाम.
नया वर्ष ले आये फिर-
हर घर-द्वार अनाम..
दिशाएँ मुखरित हो बोले
जवाब देंहटाएंलगा न हो पहरा
आँखों की खिड़की से
आशा झाँके
हर चादर में हो
खुशियों के धागे
पत्तों की हरी किताब पर
लिखें सपना गहरा
sapna gahra alag sa laga .bahut uttam
ye sunder geet hai.
umesh
aap sabhi ke sneh shbdon ka bahut bahut dhnyavad
जवाब देंहटाएंrachana
सुंदर नवगीत रचना जी| बधाई|
जवाब देंहटाएंदिशाएँ मुखरित हो बोले
जवाब देंहटाएंलगा न हो पहरा
आँखों की खिड़की से
आशा झाँके
हर चादर में हो
खुशियों के धागे
पत्तों की हरी किताब पर
लिखें सपना गहरा
अक्षर के मोती सजें
उन मासूम हाथों में
सच के तारे टके हो
सब की बातों में
प्यार की रागिनी बहे
छँटे घृणा का कोहरा
चाहत और उम्मीद से लबरेज नवगीत की इन पंक्तियों के लिए रचनाजी को अशेष बधाई इस आशा के साथ कि भविषय में भी उनके माध्यम से हमारी पाठशाला में ऐसे सुमधुर गीतों की आमद होती रहेगी।
अक्षर के मोती सजें
जवाब देंहटाएंउन मासूम हाथों में
सच के तारे टके हो
सब की बातों में
प्यार की रागिनी बहे
छँटे घृणा का कोहरा |
क्या बात है...
यदि ऐसा हो जाये मीते ! जग,
स्वर्गलोक कहलायेगा,
वाह...वाह...सुंदर....
आभार...और बधाई आपको रचना जी....
शुभ-कामनाएँ
गीता...