नये साल के
नये सूर्य का
शत-शत वंदन
घर-घर में
फैले उजियारा
बहे प्रेम की
अविरल धारा
राग-द्वेष
मिट जाय धरा से
रहे कहीं ना
रुदन-कंदन
सोन-चिरैयाँ
चह-चह चहके
दिग-दिगंत
घर-आँगन महके
दुख-दारिद्रय
मिटे अग-जग से
खुशियाँ करें
यहाँ पर नर्तन
पंख लगे
सबके सपनों को
नज़र लगे ना
चंदन वन को
सगुन बधावा
बाजे चहुँ दिश
सोन किरिन का
हो अभिनंदन
कृष्णानंद कृष्ण
नव वर्ष पर बहुत ही सुंदर नवगीत। बधाई
जवाब देंहटाएंनया वर्ष आप के ओर आप के परिवार के लिये सुख मय हो ओर देश भर मे खुशियां के कर, सुख ले कर आये, मेरी शुभकामनाऎं आप सब के संग हे!! मेरा यह नये साल का उपहार आप सब के लिये हे..
जवाब देंहटाएंhttp://blogparivaar.blogspot.com/
मुझको यह रचना रुची.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति...आभार...
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की आप सभी को शुभ कामनाएँ...
नवगीत पाठशाला के साथ साथ सभी को नव वर्ष की बधाई एवं शुभ कामनाये।
जवाब देंहटाएंनये साल के
नये सूर्य का
शत-शत वंदन
घर-घर में
फैले उजियारा
बहे प्रेम की
अविरल धारा
अति सुन्दर कृष्णानंद जी को बहुत बहुत बधाई,
धन्यावाद।
विमल कुमार हेड़ा।
पंख लगे
जवाब देंहटाएंसबके सपनों को
नज़र लगे ना
चंदन वन को
सगुन बधावा
बाजे चहुँ दिश
सोन किरिन का
हो अभिनंदन
kash aap ki ummid puri ho
achchha likha hai
rachana