सड़क आज जीवन की सबसे महत्त्वपूर्ण वस्तु हो गई है। ये घटनाओं की महासागर हैं, चौबीसों घंटे चलती हैं और चौबीसों घंटे खबरों में छाई रहती हैं। प्यार, नफरत, पाप, पुण्य, संस्कृति, कला, मेले-ठेले सबकी गवाह हैं ये सड़कें। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस बार की कार्यशाला-१३ का विषय है- सड़क पर। रचनाएँ भेजने की अंतिम तिथि है- २३ जनवरी लेकिन जल्दी आ जाने वाली रचनाओं का प्रकाशन १५ जनवरी से प्रारंभ कर देंगे। पता है- navgeetkipathshala@gmail.com
8 जनवरी 2011
कार्यशाला- १३ सड़क पर
सड़क आज जीवन की सबसे महत्त्वपूर्ण वस्तु हो गई है। ये घटनाओं की महासागर हैं, चौबीसों घंटे चलती हैं और चौबीसों घंटे खबरों में छाई रहती हैं। प्यार, नफरत, पाप, पुण्य, संस्कृति, कला, मेले-ठेले सबकी गवाह हैं ये सड़कें। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस बार की कार्यशाला-१३ का विषय है- सड़क पर। रचनाएँ भेजने की अंतिम तिथि है- २३ जनवरी लेकिन जल्दी आ जाने वाली रचनाओं का प्रकाशन १५ जनवरी से प्रारंभ कर देंगे। पता है- navgeetkipathshala@gmail.com
Labels:
कार्यशाला : १३
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
इस बार का विषय थोड़ा हटकर है। देखते हैं क्या मिलता है इस बार सड़क पर।
जवाब देंहटाएंस्वागत है आदरणीया पूर्णिमा बर्मन जी| सुंदर और विस्तृत विषय| प्रयास करता हूँ|
जवाब देंहटाएंसड़क से 'सलिल' का है नाता पुराना.
जवाब देंहटाएंकई गीत दूंगा, न कोई बहाना.
नज़रिए अलग, बात होगी जुदा भी-
अगर कुछ रुचे तो मुझे भी बताना.