26 अप्रैल 2011

२६. बस इतना सा समाचार है

जितना अधिक पचाया जिसने
उतनी ही छोटी डकार है
बस इतना सा समाचार है

निर्धन देश धनी रखवाले
भाई चाचा बीवी साले
सबने मिलकर डाके डाले
शेष बचा सो राम हवाले
फिर भी साँस ले रहा अब तक
कोई दैवी चमत्कार है
बस इतना सा समाचार है

चादर कितनी फटी पुरानी
पैबन्दों में खींचा-तानी
लाठी की चलती मनमानी
हैं तटस्थ सब ज्ञानी-ध्यानी
जितना ऊँचा घूर, दूर तक
उतनी मुर्ग़े की पुकार है
बस इतना सा समाचार है

पढ़े लिखे सब फेल हो गये
कोल्हू के से बैल हो गये
चमचा, मक्खन तेल हो गये
समीकरण बेमेल हो गये
तिकड़म की कमन्द पर चढ़कर
सिद्ध-जुआरी किला-पार है

जन्तर-मन्तर टोटका टोना
बाँधा घर का कोना-कोना
सोने के बिस्तर पर सोना
जेल-कचेहरी से क्या होना
करे अदालत जब तक निर्णय
धन-कुनबा सब सिन्धु-पार है

मन को ढाढस लाख बधाऊँ
चमकीले सपने दिखलाऊँ
परी देश की कथा सुनाऊँ
घिसी वीर-गाथायें गाऊँ
किस खम्भे पर करूँ भरोसा
सब पर दीमक की कतार है

-अमित
(इलाहाबाद)

11 टिप्‍पणियां:

  1. बेजोड़ नवगीत ! इन पंक्तियों की करोंच का जवाब नहीं-निर्धन देश धनी रखवाले
    भाई चाचा बीवी साले
    सबने मिलकर डाके डाले
    शेष बचा सो राम हवाले
    फिर भी साँस ले रहा अब तक
    कोई दैवी चमत्कार है
    बस इतना सा समाचार है
    -नवगीत की इस पाठशाला की सफलता है विश्वभर के नवगीतकारों को जोड़ना , नए विषयों का सन्धान और प्रस्तुति ! पूर्णीमा जी आपका यह कार्य ऐतिहासिक है। बहुत बहुत बधाई !

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  2. विमल कुमार हेड़ा।27 अप्रैल 2011 को 8:31 am बजे

    अति सुन्दर हकीकत को बयां करता ये गीत पढ़ कर अच्छा लगा, अमित जी को बहुत बहुत बधाई।
    धन्यवाद।
    विमल कुमार हेड़ा।

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  3. नवगीत की पाठशाला में इतना सुन्दर नवगीत पहली बार आया है। कसावट भरा नवगीत पढ़कर बहुत प्रसन्नता हो रही है।

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  4. बहुत लम्बा नवगीत है, मगर उतना ही अच्छा है। पूरी तरह बाँधे रखता है। अमित जी को हार्दिक बधाई

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  5. बहुत सटीक और सार्थक प्रस्तुति..बहुत सुन्दर

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  6. पढ़े लिखे सब फेल हो गये
    कोल्हू के से बैल हो गये
    चमचा, मक्खन तेल हो गये
    समीकरण बेमेल हो गये
    तिकड़म की कमन्द पर चढ़कर
    सिद्ध-जुआरी किला-पार है
    सुन्दर प्रस्तुति

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  7. बहुत सुन्दर गीत है।
    मैंने भी कुछ ऐसा ही चित्रित करने का प्रयत्न किया था पर शायद गीत नहीं बन पाया.
    समकालीन समस्याओं का क्या खूब चित्रण किया गया है. बहुत कुछ सीखने को मिला.
    धन्यवाद।

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  8. नवगीत मेरे लिए एक नया अनुभव है. पढकर बहुत सारी मिठास भर जाती है. आपका यह नवगीत बहुत ही भाया अमित जी.

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  9. Prnima ji and Dr. Vyom ji,
    I have to say some thing about this geet:
    This poem is written by AMITABH TRIPATHI. Can be seen in Geeta-Kavita.com : Bas itna sa samachar hai by Amitabh Tripathi.
    How can one mis use some body's kavita by giving his own name?

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  10. Wondering if Amit Ilahabadi and Amitabh Tripathi is the same person then my apology.

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