शहरों में क्यों आन बसे
दद्दू भोपाली
कोलाहल से क्लांत
पूछते प्रश्न सवाली
जगह नहीं है घर के भीतर
हृदय हुये खाली
आज शहर भी चाल चल रहे
दोहरे मत वाली
भीड़ भाड़ में चाहत है
'एकांत' हाय कैसे
मन को हो आराम
ओह इसका उपाय कैसे
भाव क्यों हुये चोर
भावना हुई मवाली|
बचपन की चादर तक
सिलवट सिलवट बिछ पाती
ममता भी मजबूरी में
पायताना हो जाती
एक तरफ बूढ़ी अम्मा
बाबूजी होते हैं
जाल बने शहरी पिंजर को
हर पल ढोते हैं
रिश्तों के इन तट बंधों की
बात निराली|
तार तार टूटी मन वीणा
वाह्य मधुर गाने
अंतस की प्रर्त्यंचा पर
क्यों धनुष बाण ताने
पथों वीथियों में कोलाहल
उर में सन्नाटे
स्वारथ की कैंची ने कैसे
प्रेम पंथ काटे
शहरों का प्रारूप बुनावट
कितनी जाली
प्राण पखेरू जिस दिन
दादी के तन से निकले
अगल बगल के दरवाजे
उस दिन भी नहीं खुले
शव वाहन के चार चके
कंधा देने आये
निष्ठुर हुये शहर के फिर भी
हृदय नहीं पिघले
काल चक्रिका पता नहीं
दद्दू भोपाली
कोलाहल से क्लांत
पूछते प्रश्न सवाली
जगह नहीं है घर के भीतर
हृदय हुये खाली
आज शहर भी चाल चल रहे
दोहरे मत वाली
भीड़ भाड़ में चाहत है
'एकांत' हाय कैसे
मन को हो आराम
ओह इसका उपाय कैसे
भाव क्यों हुये चोर
भावना हुई मवाली|
बचपन की चादर तक
सिलवट सिलवट बिछ पाती
ममता भी मजबूरी में
पायताना हो जाती
एक तरफ बूढ़ी अम्मा
बाबूजी होते हैं
जाल बने शहरी पिंजर को
हर पल ढोते हैं
रिश्तों के इन तट बंधों की
बात निराली|
तार तार टूटी मन वीणा
वाह्य मधुर गाने
अंतस की प्रर्त्यंचा पर
क्यों धनुष बाण ताने
पथों वीथियों में कोलाहल
उर में सन्नाटे
स्वारथ की कैंची ने कैसे
प्रेम पंथ काटे
शहरों का प्रारूप बुनावट
कितनी जाली
प्राण पखेरू जिस दिन
दादी के तन से निकले
अगल बगल के दरवाजे
उस दिन भी नहीं खुले
शव वाहन के चार चके
कंधा देने आये
निष्ठुर हुये शहर के फिर भी
हृदय नहीं पिघले
काल चक्रिका पता नहीं
क्या करने वाली
-प्रभुदयाल
(छिंदवाड़ा)
बहुत सुंदर नवगीत है, अंतिम बंद ने मन को छू लिया। बहुत बहुत बधाई प्रभुदयाल जी को इस सुंदर नवगीत के लिए।
जवाब देंहटाएंबहुत ज्वलंत विचार हैं, भावुक कर गए। पढ़ कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएं"मुखड़े में 'प्रश्न सवाली' समझ में नहीं आया, ये दोनों शब्द एक ही अर्थ लिए होते हैं। सवाली का प्रयोग क्या सिर्फ गेयता बनाने के लिए किया गया है?"
आर्बुदाजी
जवाब देंहटाएंबधाई देने के लिये धन्यवाद|प्रश्न याने प्रश्न और सवाली याने प्रश्न पूछने वाला|इसमें न समझनेवाली कोई बात ही नहीं है| प्रभुदयाल
धन्यवाद प्रभुदयाल जी, समझाने के लिए।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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