२२. आ गया दीपों का त्यौहार
आ गया
दीपों का त्यौहार
अँधेरा टाले नहीं टले
दूर हो
मन की कड़वाहट
न हो अब कोई जन आहत
मिटा दे हर विकार मन से
नेह का हो
ऐसा व्यवहार
हृदय में अनुपम नेह पले
चाँदनी
तू चुप सी क्यों है
अमावस से डरती क्यों हैं
तमस का टूटेगा फिर जाल
प्रकाशित होगा
हर घर द्वार
रौशनी होगी साँझ ढले
-कृष्णकुमार तिवारी
(बरेली)
दीपावली का स्वागत करती एक खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनाएं
हिन्दी कॉमेडी- चैटिंग के साइड इफेक्ट
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंचाँदनी तू चुप सी क्यों है, अमावस से डरती क्यों हैं-- बहुत सुंदर संवाद। सुंदर नवगीत के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंसुंदर नवगीत के लिए कृष्णकुमार जी को बधाई
जवाब देंहटाएंवाह... वाह...
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