चिड़िया की चोंच में
चावल का दाना
देख याद आया
कुछ नया कुछ पुराना
बड़ा सा महानगर
और हम अकेले
यादों के पंछी ने
पर अपने खोले
भला लगा छुटकी का
मिस्ड काल आना
कभी-कभी जैसे हैं
मन को गुहराते
जलते अलाव और
ठण्ड भरी रातें
रमई काका का
सौ किस्से सुनाना
दुःख भूले, लगा जैसे
सब कुछ है फाइन
माँ-बाबूजी के हुए
चरण ऑनलाइन
इन्टरनेट पर अबकी
बर्थ डे मनाना
-रवि शंकर मिश्र "रवि"
प्रतापगढ़ से
चावल का दाना
देख याद आया
कुछ नया कुछ पुराना
बड़ा सा महानगर
और हम अकेले
यादों के पंछी ने
पर अपने खोले
भला लगा छुटकी का
मिस्ड काल आना
कभी-कभी जैसे हैं
मन को गुहराते
जलते अलाव और
ठण्ड भरी रातें
रमई काका का
सौ किस्से सुनाना
दुःख भूले, लगा जैसे
सब कुछ है फाइन
माँ-बाबूजी के हुए
चरण ऑनलाइन
इन्टरनेट पर अबकी
बर्थ डे मनाना
-रवि शंकर मिश्र "रवि"
प्रतापगढ़ से
बहुत सुंदर..
जवाब देंहटाएंबड़ा सा महानगर
जवाब देंहटाएंऔर हम अकेले
यादों के पंछी ने
पर अपने खोले
भला लगा छुटकी का
मिस्ड काल आना
अच्छा लगा आपका यह गीत
बहुत सुंदर
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