22 दिसंबर 2011

२२. लाएगा उपहार साल

दुखती रग सा साल रहा है
सुख कम बहुत मलाल रहा है
दि‍न महीने बीते बीते से
छूट गये रीते रीते से
लाएगा उपहार साल या
फि‍र उड़ जाएगा इस बार

नार नवेली दुल्हडन लगता
वि‍ष अमृत सा मन को छलता
बीता जाता बेगाना सा
रोज लुभाता दीवाना सा
नये नये अभि‍नव प्रयोग से
फि‍र भरमाएगा इस बार

कलरव करते खग संकुल खुश
अभि‍नय करते मौसम भी खुश
समय चक्र का रुके न पहि‍या
प्रेम शुक्र का वही अढइया
छोटी करने सौर मनुज की
फि‍र फुसलाएगा इस बार

वैदि‍क गणि‍त सि‍द्ध दि‍न करते
ज्योतिषि‍ क्यों उद्घोष न करते
कल कल का क्या हश्र लि‍खा है
भृगु संहि‍ता में जो भी लि‍खा है
स्वर्णि‍म मृग मृग-मरीचि‍का में
फि‍र दौड़ाएगा इस बार

-आकुल,
कोटा से

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