16 जनवरी 2012

२. पतंग... एक सपना

समय उड़ चला सर्द हवा सा
मन के आसमान का सूरज
देता मगर दिलासा
सपनों पर से हटा कुहासा

रेंग लिये धरती पर कितना
अब अम्बर से जुड़ने दो
पतंग सरीखी रंग बिरंगी
आशाओं को उड़ने दो

कागज से भी कोमल हैं पर
उलझ ना जाएँ जरा सा

नई उमंगो का मांझा अब
अपने हाथ मे आने दो
पर फैलाए आस का पंछी
छत-मुंडेर पर गाने दो

हर्ष भरे नयनों से देखो
रीता घट भी लगे भरा सा

-संध्या सिंह
लखनऊ से

21 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी रचना है. इसको फेसबुक पर डालो जिससे सब लोग पढ़ सकें. बधाई.

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  2. धन्यवाद सुशील जी पत्रिका तक आने व गीत पसंद करने के लिए आभार

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  3. "रेंग लिए धरती पर कितना/ अब अम्बर से जुड़ने दो/ पतंग सरीखी रंग बिरंगी/ आशाओं को उड़ने दो" आशा उल्लास के ओज-भरे स्वर-सजे सुमधुर गीत के लिए, बहुत बहुत बधाई संध्या जी !

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    1. धन्यवाद अश्विनी जी आप की प्रशंसा से बहुत हौसला बढता है

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  4. ....

    रेंग लिये धरती पर कितना
    अब अम्बर से जुड़ने दो
    पतंग सरीखी रंग बिरंगी
    आशाओं को उड़ने दो

    सन्ध्या सिंह जी आपकी इस रचना की सरलता और सहजता के साथ भावों की अद्भुत युति ने इसे अविस्मरणीय बना दिया है .. प्रशंसा के लिये शब्द नहीं मिल रहे हैं ..

    बधाई

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    1. धन्यवाद श्रीकांत जी .....आपकी टिप्पणी सदैव उर्जा का कार्य करती है

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  5. "नई उमंगो का मांझा अब
    अपने हाथ मे आने दो
    पर फैलाए आस का पंछी
    छत-मुंडेर पर गाने दो "

    bahut sundar rachna hai..
    mere bhi blog me aayen..
    मेरी कविता

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  6. "......हर्ष भरे नयनों से देखो
    रीता घट भी लगे भरा सा .....".....

    अत्यंत सुन्दर और मनोभावों से गुंथी पंक्तियाँ.....अत्यंत सुन्दर रचना...

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  7. संध्या जी को इस सुंदर नवगीत के लिए बधाई

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    1. आपके पसंद करने से आत्मबल मे वृद्धि हुई आभार सिम्मी जी

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  9. परमेश्वर फुँकवाल19 जनवरी 2012 को 11:19 am बजे

    "हर्ष भरे नयनों से देखो
    रीता घट भी लगे भरा सा" नव आशा का संचार करती सुन्दर अभिव्यक्ति संध्या जी. बधाई.

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  10. संध्या जी!
    'मन के आसमान का सूरज / देता मगर दिलासा', अब अम्बर से जुड़ने दो, आशाओं को उड़ने दो , नई उमंगो का मांझा अब
    अपने हाथ मे आने दो' आदिआशावादी स्वर नवगीत में जान फूँक रहे हैं. बधाई सशक्त नवगीत के लिये.

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    1. अपनी अनमोल टिप्पणी से जो आत्मबल बढ़ाया उसके लिए आभार आदरणीय आचार्यसंजीव वर्मा जी

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