सिंदूरी सपने
पल-छिन
हरसिंगार फूल से झरें
झाँक गयी वातायन से
मंद-मंद बहती पुरवा
चुपके-चुपके जाने कब
खोल गयी पृष्ठ अनछुआ
बेटी की ओर ताकती
अम्मा का माँगना दुआ
होनी-अनहोनी
संभ्रम
अंतस में हूक सी भरें
जाड़े की बरखा में भी
छप्पर का टप-टप संगीत
श्रमिकों के चूल्हों पर ही
बढ़ती महँगाई की प्रीत
सड़कों से पगडंडी तक
गुमसुम हैं, रोटी के गीत
जीवन भर
आपाधापी
झरबेरी बेर सी फरें
- अनिल वर्मा
लखनऊ
पल-छिन
हरसिंगार फूल से झरें
झाँक गयी वातायन से
मंद-मंद बहती पुरवा
चुपके-चुपके जाने कब
खोल गयी पृष्ठ अनछुआ
बेटी की ओर ताकती
अम्मा का माँगना दुआ
होनी-अनहोनी
संभ्रम
अंतस में हूक सी भरें
जाड़े की बरखा में भी
छप्पर का टप-टप संगीत
श्रमिकों के चूल्हों पर ही
बढ़ती महँगाई की प्रीत
सड़कों से पगडंडी तक
गुमसुम हैं, रोटी के गीत
जीवन भर
आपाधापी
झरबेरी बेर सी फरें
- अनिल वर्मा
लखनऊ
सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंनवसंवत्सर की शुभकामनायें ।।
चुपके-चुपके जाने कब
जवाब देंहटाएंखोल गयी पृष्ठ अनछुआ
बेटी की ओर ताकती
अम्मा का माँगना दुआ
बहुत सुन्दर भाव जैसे किसी आम घर से लिए गए चित्र का वर्णन ...बधाई श्री अनिल वर्मा जी
नीरज जी के गीत "स्वप्न झरे फूल से" की याद आ गई। अंतिम बंद आम जन के दुख दर्द को पूरी सहजता और सफलता से वर्णित करने के कारण विशेष लगा। बधाई अनिल जी
जवाब देंहटाएंसिंदूरी सपने
जवाब देंहटाएंपल-छिन
हरसिंगार फूल से झरें
झाँक गयी वातायन से
मंद-मंद बहती पुरवा
चुपके-चुपके जाने कब
खोल गयी पृष्ठ अनछुआ
बेटी की ओर ताकती
अम्मा का माँगना दुआ
अति सुंदर प्रस्तुति
बधाई
अनिल वर्माजी
अम्मा का बेटी के लिए दुआ मांगना और फिर निर्धन की असहाय मन:स्थिति का चित्रण बहुत ही प्रभावी लगे | धन्यवाद अनिल जी
जवाब देंहटाएंशशि पाधा
झाँक गयी वातायन से
जवाब देंहटाएंमंद-मंद बहती पुरवा
चुपके-चुपके जाने कब
खोल गयी पृष्ठ अनछुआ
बेटी की ओर ताकती
अम्मा का माँगना दुआ
अति सुंदर
rachana
सिंदूरी सपने
जवाब देंहटाएंपल-छिन
हरसिंगार फूल से झरें
सामाजिक सचाइयों को मुखर करता सशक्त नवगीत.