गंध मदिर बिखरे
रात भर हरसिंगार झरे
श्वेत रंग की बिछी चदरिया,
शोभित हरी घास पर हर दिन
चुन चुन हार गूँथ कर मालिन,
डलिया खूब भरे,
रात भर हरसिंगार झरे
सिंदूरी वृन्तों पर खिलती
छह छह श्वेत पंखुरी सुरभित
स्व सौंदर्य भार से गर्भित
औंधे मुँह गिरे
रात भर हरसिंगार झरे
-शारदा मोंगा
न्यूजीलैंड
bahut sunder abhivyakti
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen ....
धन्यवाद।
हटाएंस्व सौंदर्य भार से गर्भित
जवाब देंहटाएंऔंधे मुँह गिरे
रात भर हरसिंगार झरे
बहुत कुछ कह दिया इन पंक्तियों ने .....हरसिंगार के माध्यम से एक सीख छोटा सा गीत मगर ढेर सारी भावनाएं समेटे ...हार्दिक बधाई शारदा जी
संध्या सिंह जी,धन्यवाद।
हटाएंशारदा जी, बहुत खूब. परिमार्जन के बाद रचना का जो रूप निखारा है वास्तव में बहुत ही प्रशंसनीय है, बधाई.
जवाब देंहटाएंअनिल वर्मा जी,धन्यवाद।
हटाएंस्व सौंदर्य भार से गर्भित
जवाब देंहटाएंऔंधे मुँह गिरे
सचमुच, कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया आपने, सुन्दर गीत के लिये शारदा जी को बहुत बहुत बधाई,
धन्यवाद।
विमल कुमार हेड़ा।
धन्यवाद.
हटाएंबहुत सुंदर वर्णन किया है। कम से कम शब्दों है में पूरा सार कह दिया है। बधाई शारदा जी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
हटाएंबहुत सुंदर प्रयास है, दूसरे बंद में मुझे थोड़ा प्रवाह अटकता सा प्रतीत हुआ। शारदा जी को बधाई
जवाब देंहटाएंधर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’जी,धन्यवाद।
हटाएंशारदा जी गीत मनोहारी लगा .
जवाब देंहटाएंगीत में अलंकार की छटा बिखेर दी है
श्वेत रंग की बिछी चदरिया ...........
में फूलों का श्वेत रंग की चदरिया का रूप दे दिया . रूपक की छटा है .
हरी घास पर हर....हरी , हर
चुन चुन और छह छह में अनुप्रास अलंकार से आभूषित किया है .
रात भर हरसिंगार झरे ....पंक्ती में सुधार कि जरूरत है .
मेरा अनुभव है कि हरसिंगार का फूल रात में खिलता है . झड़ता नहीं
है और भोर होने पर झरता है .
मंजु गुप्ता
वाशी , नवी मुंबई
भारत .
धन्यवाद।
हटाएंस्व सौंदर्य भार से गर्भित
जवाब देंहटाएंऔंधे मुँह गिरे
अच्छी कल्पना शारदा जी | बधाई |
शशि पाधा
धन्यवाद।
हटाएंशशि पाधा जी, धन्यवाद।
हटाएंशारदा मोंगा जी का अच्छा नवगीत और अच्छा बन सकता है यदि इन पंक्तियों को थोड़ा और माँज लें--
जवाब देंहटाएं" स्व सौंदर्य भार से गर्भित
औंधे मुँह गिरे "
डॉ साहेब, असल में मेरी कविता को तो नया रूप दे दिया गया है. धन्यवाद. कृपया कविता की पंक्ति 'स्व सौन्दर्य भर से गर्भित, औंधे मुंह गिरे' में तनिक और सुधार करके अनुग्रहित करें.
जवाब देंहटाएंश्वेत रंग की बिछी चदरिया,
जवाब देंहटाएंशोभित हरी घास पर हर दिन
चुन चुन हार गूँथ कर मालिन,
डलिया खूब भरे,
रात भर हरसिंगार झरे
सुंदर नवगीत
rachana
Rachna Mar ji,
हटाएंधन्यवाद.
गंध मदिर बिखरे
जवाब देंहटाएंरात भर हरसिंगार झरे
अच्छा प्रयास. मंजू जी से सहमत हूँ. बधाई.
धन्यवाद आचार्य जी, चलिए ऐसा किया जा सकता है:
हटाएंगंध मदिर बिखरे,
रात भर खिल कर हरसिंगार गिरे,