2 अप्रैल 2012

१४. हरसिंगार से रिश्ते

पावन हरसिंगार से रिश्ते
टूटे न ये प्यार के रिश्ते

धरती के
आँचल पर जरदोजी रचते
डोली चढ़ पवनों की मंद मंद हँसते
ऋतुओं खिले बहार के रिश्ते

आँगने के
हाथों में सजते हैं ऐसे
मूँगे और मोती के कंगन हो जैसे
सावन मिले फुहार के रिश्ते

पेड़ों के छज्जे
से उचक उचक गिरते
घर की दिवारों में रंग कई भरते
अम्मा की मनुहार के रिश्ते

रचना श्रीवास्तव
यू.एस.ए.

14 टिप्‍पणियां:

  1. रचना जी नमस्कार ,
    बहुत सुन्दर नवगीत .... ।
    मूँगे और मोती के कँगन हो जैसे
    सावन मिले फुहार के रिश्ते

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  2. रचना जी, सुंदर नवगीत के लिए बधाई स्वीकार करें।

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  3. पेड़ों के छज्जे
    से उचक उचक गिरते
    घर की दिवारों में रंग कई भरते
    अम्मा की मनुहार के रिश्ते

    बहुत सुंदर नवगीत है रचना जी को बहुत बहुत बधाई

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  4. इन स्नेह शब्दों के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद .
    पूर्णिमा जी का बहुत आभार है की वो सदा ही मुझे नव गीत लिखने की प्रेरणा देती है और मार्गदर्शन भी करती है
    पुनः धन्यवाद

    rachana

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  5. बहुत सुन्दर नवगीत है रचना जी...मेरी बधाई...।

    प्रियंका

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  6. रचना जी आपका नवगीत बहुत सुन्दर है । इन पंक्तियों ने तो पूरी तरह हरसिंगार को चंचल और प्राणवान् बना दिया-
    पेड़ों के छज्जे
    से उचक उचक गिरते
    घर की दिवारों में रंग कई भरते
    अम्मा की मनुहार के रिश्ते

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  7. अनिल वर्मा, लखनऊ4 अप्रैल 2012 को 9:30 am बजे

    पावन हरसिंगार से रिश्ते
    टूटे न ये प्यार के रिश्ते
    ..बहुत ही सार्थक सोंच. सुंदर नवगीत के लिए बधाई रचना जी.

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  8. आँगने के
    हाथों में सजते हैं ऐसे
    मूँगे और मोती के कंगन हो जैसे
    सावन मिले फुहार के रिश्ते
    रचना,मूंगे और मोती के फूलों के कंगन बने हर सिंगार के फूल बहुत ही सुन्दर बिम्ब है | एक प्यारा सा नवगीत | बधाई |

    शशि पाधा

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  9. साधुवाद रचना जी इस सुंदर गीत के लिए| कुछ अंश,सच में, सम्मोहक हैं|

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  10. साधुवाद रचना जी इस सुंदर गीत के लिए| कुछ अंश,सच में, सम्मोहक हैं|

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  11. जीवन संबंधो को परिभाषित करता हरसिंगार आपके नवगीत को प्राणवंत कर गया. बधाई.

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  12. आप सभी के स्नेह शब्द पा कर मेरे नवगीत के भाव महकने लगे हैं आपका आशीर्वाद सदा ऐसे ही बना रहेगा यही आशा है
    धन्यवाद
    रचना

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