तो क्या आज के जीवन की यह सबसे बड़ी आवश्यकता ही हमारी सबसे बड़ी दुश्मन हो गई है? क्या हमें उपलब्धियों से दूर रहना चाहिये? या जीवन में इसका कोई संतुलन बिंदु भी है... घर, परिवार, गाँव, शहर और कार्यक्षेत्रों में उपलब्धियों से जुड़े मानसिक द्वंद्व, सोच, सरोकार और भावनात्मक पहलुओं से जुड़ा है इस कार्यशाला का विषय - उपलब्धियाँ जाने कहाँ ले आईं हमको - लेकिन गीत में इस पंक्ति का प्रयोग नहीं होना चाहिये। सभी कुछ एक गीत में नहीं कहा जा सकता इसलिये इस विषय से जुड़ी संवेदना की किसी छोटी सी टुकड़ी पर भी गीत लिखा जा सकता है। रचना भेजने की अंतिम तिथि है १० सितंबर लेकिन रचनाओं का प्रकाशन जल्दी प्रारंभ कर देंगे। पता है- navgeetkipathshala@gmail.com
1 सितंबर 2012
उपलब्धियाँ जाने कहाँ ले आईं हमको -
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कार्यशाला : २३
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uttam vishay.. badhai
जवाब देंहटाएंachcha laga ye geet,badhai
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