ठहरे हुए पानी का
मीलों विस्तार
बर्फ सा जमा हुआ
पिछला संसार
आचमन की दौड़ में
फिरता रहा
लोग कहते आदमी है
सिरफिरा
रख लिए बटोरकर
अनसुलझे रिश्ते
गूँजते गली गली
अनकहे किस्से
मन की नदी का
गीला है उद्गम
फँस गई सुख की
नाव मझधार
संघर्षों के बाद सुनी
सुख की पदचापें
छत पर लेटकर
अपने को नापें
बैठ शिखर सोचते
जीवन हुआ हवन
आदमी होने का
पाले रहे भरम
पहले पन्ने पर छपते
सहलाते सम्मान
जहरीले सपनों में
वृक्ष लगे फलदार
--ज्योति खरे
कटनी
मीलों विस्तार
बर्फ सा जमा हुआ
पिछला संसार
आचमन की दौड़ में
फिरता रहा
लोग कहते आदमी है
सिरफिरा
रख लिए बटोरकर
अनसुलझे रिश्ते
गूँजते गली गली
अनकहे किस्से
मन की नदी का
गीला है उद्गम
फँस गई सुख की
नाव मझधार
संघर्षों के बाद सुनी
सुख की पदचापें
छत पर लेटकर
अपने को नापें
बैठ शिखर सोचते
जीवन हुआ हवन
आदमी होने का
पाले रहे भरम
पहले पन्ने पर छपते
सहलाते सम्मान
जहरीले सपनों में
वृक्ष लगे फलदार
--ज्योति खरे
कटनी
पहले पन्ने पर छपते
जवाब देंहटाएंसहलाते सम्मान
जहरीले सपनों में
वृक्ष लगे फलदार
सुंदर नवगीत के लिए बधाई
मीलों विस्तार
जवाब देंहटाएंबर्फ सा जमा हुआ
जीवन संसार.
सचमुच एक ठहराव आ रहा है आधुनिक जीवन में, उल्लास, उमंगों की लहरें अंतस्तल में सो रही हैं.
सम्मानित होने का
पाल रहे भरम-..
शोहरत मिली तो नींद भी अपनी नहीं रही
गुमनाम जिंदगी थी कितना सुकून था.
अंत तो बहुत ही प्रभावोत्पादक है.
पहले पन्नों पर छपते
बन गये जमींदार
जहरीले सपनों में
वृक्ष लगे फलदार-----
एक सुन्दर नवगीत खोने-पाने के विवेचन के साथ. बधाई आ० ज्योति खरे जी.
सुंदर नवगीत, बधाई ज्योति जी को
जवाब देंहटाएंआचमन की दौड़ में
जवाब देंहटाएंफिरता रहा
लोग कहते आदमी है
सिरफिरा
रख लिए बटोरकर
अनसुलझे रिश्ते
गूंजते गली गली
अनकहे किस्से ।
सुन्दर नवगीत के लिए बधाई ।