जीवन थाली में रखे हैं
सुख सुविधा के छप्पन व्यंजन
मन सुगना क्यों
मौन स्वरों में करता क्रंदन
फटी बिवाई
तन पर एक कौपीन सलूका
बारहमासे
कभी तीज त्यौहार
पूरियाँ खा इतराते दिन
इनके उनके सुख दुःख सबके
छप्पर से समवेत करों में
भार उठाते दिन
आवाजाही में कब टूटे
अपनेपन के बंधन
शहरी रंगमहल उछ्रंखल
राजनर्तकी तृष्णा
पूँजी प्याले में उंड़ेलती
अहंकार की हाला
क्या राजा क्या मंत्री चाकर
यहाँ टुन्न दो घूँट चढ़ाकर
नैतिकता की चींटी रौंदे
धन बल गज मतवाला
रूठा काकी के पैरों से
नत अभिनन्दन
आज हथेली में चंदा
पगथलियों में जग
नाप सके न मगर
पड़ोसी घर की दूरी दो पग
दो कमरे के बया घोंसले
अधिवासी सन्नाटे के खग
ऑफिस के टेबल पर उतरे
मोरपंखिया शाम
और बैठक में नभ नग
शायद ज़्यादा ही खोया कम पाया
कहता ये मन
रामशंकर वर्मा
लखनऊ
आज हथेली में चंदा
जवाब देंहटाएंपगथलियों में जग
नाप सके न मगर
पड़ोसी घर की दूरी दो पग
दो कमरे के बया घोंसले
अधिवासी सन्नाटे के खग
ऑफिस के टेबल पर उतरे
मोरपंखिया शाम
और बैठक में नभ नग
शायद ज़्यादा ही खोया कम पाया
कहता ये मन ...वर्तमान की सम्पूर्ण कहानी कह देती हैं आपकी ये पंक्तियाँ. बहुत सुन्दर अंदाज है आपका. बधाई आपको इस सुन्दर नवगीत के लिए.
आ० बंधुवर फूंकवाल जी, उत्साहवर्धन और प्रशंसा के लिए आभार.
हटाएंआ० बंधुवर फूंकवाल जी, उत्साहवर्धन और प्रशंसा के लिए आभार.
हटाएंएक अच्छे नवगीत के लिए रामशंकर जी को बधाई।
जवाब देंहटाएंआभार ह्रदय से आ० धर्मेन्द्र जी.
हटाएंशहरी रंगमहल उछ्रंखल, राजनर्तकी तृष्णा
जवाब देंहटाएंपूँजी प्याले में उंड़ेलती, अहंकार की हाला
क्या राजा क्या मंत्री चाकर, यहाँ टुन्न दो घूँट चढ़ाकर
नैतिकता की चींटी रौंदे, धन बल गज मतवाला
सुन्दर पंक्तियाँ रमाशंकर जी को बहुत बहुत बधाई।
विमल कुमार हेड़ा।
हार्दिक आभार हेडा जी.
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जवाब देंहटाएंजीवन थाली में रखे हैं
सुख सुविधा के छप्पन व्यंजन
मन सुगना क्यों
मौन स्वरों में करता क्रंदन
बहुत सुंदर शुरुवात के साथ अंत तक प्रभावित करता हुआ नवगीत। रा मशंकर जी बधाई।
मूल्यांकन और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आ० रामानी जी.
जवाब देंहटाएंफटी बिवाई
जवाब देंहटाएंतन पर एक कौपीन सलूका
बारहमासे
कभी तीज त्यौहार
पूरियाँ खा इतराते दिन
इनके उनके सुख दुःख सबके
छप्पर से समवेत करों में
भार उठाते दिन
आवाजाही में कब टूटे
अपनेपन के बंधन
बहुत ही सुन्दर. खूबसूरत नवगीत के लिये बधाई रामशंकर जी.
बहूत सुन्दर भावपूर्ण चित्रण को समेटे नवगीत के लिए रामशंकर जी को बधाई ।
जवाब देंहटाएंआज हथेली में चंदा
जवाब देंहटाएंपगथलियों में जग
नाप सके न मगर
पड़ोसी घर की दूरी दो पग
दो कमरे के बया घोंसले
अधिवासी सन्नाटे के खग
ऑफिस के टेबल पर उतरे
मोरपंखिया शाम
बहुत गहरी पंक्तियाँ रामशंकर जी | बधाई और धन्यवाद |
फटी बिवाई
जवाब देंहटाएंतन पर एक कौपीन सलूका
बारहमासे
कभी तीज त्यौहार
पूरियाँ खा इतराते दिन
इनके उनके सुख दुःख सबके
छप्पर से समवेत करों में
भार उठाते दिन\
सुन्दर नवगीत के लिए बधाई
rachana