28 अक्तूबर 2012

९. एक नन्हा दीप


एक नन्हा दीप जो
मावस निशा में जल रहा है
है बहुत कुछ कह रहा वो झिलमिला कर
मुस्कुराता सा मेरी दहलीज़ पर जो
बल रहा है

एक नन्हा दीप जो
मावस निशा में जल रहा है

है नहीं यह ज्योति
का बस पुंज, इक सन्देश भी है
जीत की प्रस्तावना है कर्म का आदेश भी है
है अकिंचन, दल रहा पर तिमिर दुष्कर
विषमताओं की चुनौती
भेदता अविरल
रहा है

एक नन्हा दीप जो
मावस निशा में जल रहा है

एक ज्योतित
सार है, आधार है पावन प्रथा है
साधती 'सकार' को आभामयी निर्मल कथा है
पीढ़ियों दर पीढ़ियों पोषित निरंतर
संस्कारों का अलौकिक
चिरंतन संबल
रहा है

एक नन्हा दीप जो
मावस निशा में जल रहा है

-सीमा अग्रवाल

10 टिप्‍पणियां:

  1. सीमा जी, बहुत ही सुंदर नवगीत के लिए आपको हार्दिक बधाई

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  2. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार ३० /१०/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है |

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    उत्तर
    1. स्वागत है आदरणीय राजेश जी मैं आपका ये सन्देश आज देख सकी इसके लिए क्षमा चाहती हूँ .....

      हटाएं
    2. स्वागत है आदरणीय राजेश जी...... मैं आपका सन्देश अभी देख सकी हूँ इस लिए चर्चा में शामिल नहीं हो सकी | क्षमा चाहती हूँ |

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  3. है नहीं यह ज्योति
    का बस पुंज, इक सन्देश भी है
    जीत की प्रस्तावना है कर्म का आदेश भी है।

    बहुत सुन्दर नवगीत है। बधाई सीमा जी

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  4. एक नन्हा दीप जो
    मावस निशा में जल रहा है ।

    बहुत सुन्दर नवगीत ।

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  5. बहुत सुंदर नवगीत सीमा जी, बधाई स्वीकारें

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  6. 'जीत की प्रस्तावना है कर्म का आदेश भी है' एक छोटा सा दीप और उस पर इतनी गहरी बात बधाई सीमा जी और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं अभिव्यक्ति के सभी साथियों को

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  7. एक ज्योतित
    सार है, आधार है पावन प्रथा है
    साधती 'सकार' को आभामयी निर्मल कथा है
    पीढ़ियों दर पीढ़ियों पोषित निरंतर
    संस्कारों का अलौकिक
    चिरंतन संबल
    रहा है
    बधाई हो इस मनभावन प्रस्तुति के लिए

    एक नन्हा दीप जो

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  8. सुंदर नवगीत सीमा जी आपको हार्दिक बधाई

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