भीतर बाहर हो उजियाली
ऐसे चरण
धरो दीवाली।
बिम्ब हुए जो मैले मैले
जितने भी सम्बन्ध कसैले
बनें बताशों की ज्यों थाली
पावन चरण
धरो दीवाली।
माटी को नव इतिहास मिले
खोया है जो मृदुहास मिले
पूरित सुधा पुरातन थाली
ऐसे चरण
धरो दीवाली।
ज्योति बीज बोएं हम अंगना
धरा गगन सबको तुम रंगना
नेह निखिल की हो रखवाली
ऐसे चरण
धरो दीवाली।
-निर्मला जोशी
ऐसे चरण
धरो दीवाली।
बिम्ब हुए जो मैले मैले
जितने भी सम्बन्ध कसैले
बनें बताशों की ज्यों थाली
पावन चरण
धरो दीवाली।
माटी को नव इतिहास मिले
खोया है जो मृदुहास मिले
पूरित सुधा पुरातन थाली
ऐसे चरण
धरो दीवाली।
ज्योति बीज बोएं हम अंगना
धरा गगन सबको तुम रंगना
नेह निखिल की हो रखवाली
ऐसे चरण
धरो दीवाली।
-निर्मला जोशी
माटी को नव इतिहास मिले
जवाब देंहटाएंखोया है जो मृदुहास मिले
पूरित सुधा पुरातन थाली
ऐसे चरण
धरो दीवाली।
बहुत सुंदर रचना
दीपावली के चरण धरने से पहले सुंदर गीत ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ...बधाई!
जवाब देंहटाएंहमारी और से भी ...
बहुत सुंदर रचना ...बधाई!
हमारी और से भी ...
दीपों की हो छटा निराली
माँ लक्ष्मी हर घर में बिराजे
भूत-पिशाच (मनुष्य में उपस्थित दुर्गुण रुपी)
भगावे माँ काली ......
ऐसे चरण धरो दिवाली ....
बहुत सुंदर नवगीत
जवाब देंहटाएंज्योति बीज बोएं हम अंगना
जवाब देंहटाएंधरा गगन सबको तुम रंगना
नेह निखिल की हो रखवाली
ऐसे चरण
धरो दीवाली।
हाँ,यही है दीपपर्व का असली मर्म -बधाई है इन पंक्तियों के रचयिता को!
भीतर बाहर हो उजियाली
जवाब देंहटाएंऐसे चरण
धरो दीवाली।
बहुत सुन्दर
अनूठी रचना। बहुत बहुत शुक्रिया निर्मलाजी
जवाब देंहटाएंसुंदर नवगीत
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