देहरी – देहरी
चल निकली फिर उजियारे की बात
आओ मिलकर करें सुनिश्चित
अँधियारे की मात
गौशाले दालान धुल गये,
पनघट डगर मकान धुल गये
चूल्हा–चौका ताखें दीवट
घर के सब सामान धुल गये
और धुल गये मंदिर–मंदिर
ठाकुर जी के गात
द्वार – द्वार पर दीप–वियोगी
हठ पर हैं जैसे हठयोगी
जागे अब उजास के शावक
तमस–सुतों की खैर न होगी
जुटी अमावस के घर अनशन पर
दीपों की पाँत
दीप जलें निमिया के ठौरे
आँगन में तुलसी के चौरे
जगमग मंदिर की चौखट पर
घूरों के भी दिन हैं बहुरे
धरती पर आ ठहरी नभ के
तारों की बारात
खील–खिलौने और मिठाई
अम्मा ने देवखरी सजाई
पूजन है लक्ष्मी–गणेश का
सबने मिलकर आरति गाई
यही कामना सबके घर सुख
लेकर आये प्रात
– कृष्ण नन्दन मौर्य
चल निकली फिर उजियारे की बात
आओ मिलकर करें सुनिश्चित
अँधियारे की मात
गौशाले दालान धुल गये,
पनघट डगर मकान धुल गये
चूल्हा–चौका ताखें दीवट
घर के सब सामान धुल गये
और धुल गये मंदिर–मंदिर
ठाकुर जी के गात
द्वार – द्वार पर दीप–वियोगी
हठ पर हैं जैसे हठयोगी
जागे अब उजास के शावक
तमस–सुतों की खैर न होगी
जुटी अमावस के घर अनशन पर
दीपों की पाँत
दीप जलें निमिया के ठौरे
आँगन में तुलसी के चौरे
जगमग मंदिर की चौखट पर
घूरों के भी दिन हैं बहुरे
धरती पर आ ठहरी नभ के
तारों की बारात
खील–खिलौने और मिठाई
अम्मा ने देवखरी सजाई
पूजन है लक्ष्मी–गणेश का
सबने मिलकर आरति गाई
यही कामना सबके घर सुख
लेकर आये प्रात
– कृष्ण नन्दन मौर्य
बहुत सुन्दर नवगीत ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार वैद्य जी
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंbahut achchi rachna ... thumbs up to you :)
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार रोहितास जी
हटाएंदीप जलें निमिया के ठौरे
जवाब देंहटाएंआँगन में तुलसी के चौरे
जगमग मंदिर की चौखट पर
घूरों के भी दिन हैं बहुरे
बहुत प्यारा नवगीत। बधाई नन्दन जी
धन्यवाद रवि जी
हटाएंकृष्ण नन्दन जी आप बहुत अच्छा लिखते हैं। बहुत सुंदर नवगीत के लिए आपको हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत–बहुत धन्यवाद कल्पना जी सराहना के लिये
हटाएंबधाई कृष्ण जी को इस नवगीत के लिए
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका धर्मेन्द्र जी
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