ठण्ड बढ़ायें, घने कोहरे
संग न, आना नये बरस,
हाथों से चेहरे तक, सबके
खुशियाँ लाना नये बरस
बच्चों को भी मिलें मुरादें
और युवा मन को सपने,
मुट्ठी भर आकाश दिलाना
पाँव चले धरती नपने.
बन्द हुए, घर के कमरों में
धूप भी लाना नये बरस !
बेकारी को, काम दिलाना
चेहरे-चेहरे सुख-छाया,
देहरी-देहरी, उजियारा हो
आँगन-आँगन मनचाहा.
छप्पर-छान, कोठी-बँगलों के
मन भाना नये बरस !
घर की थाली, भरी-भरी हो
नहीं कमी हो कुछ ऐसी,
खुशहाली हो, तंगदिली की
घर में हो ऐसी तैसी.
जिनसे अब तक, त्रसित रहे सब
मुक्ति दिलाना नये बरस !
--डॉ. मुकेश श्रीवास्तव अनुरागी
संग न, आना नये बरस,
हाथों से चेहरे तक, सबके
खुशियाँ लाना नये बरस
बच्चों को भी मिलें मुरादें
और युवा मन को सपने,
मुट्ठी भर आकाश दिलाना
पाँव चले धरती नपने.
बन्द हुए, घर के कमरों में
धूप भी लाना नये बरस !
बेकारी को, काम दिलाना
चेहरे-चेहरे सुख-छाया,
देहरी-देहरी, उजियारा हो
आँगन-आँगन मनचाहा.
छप्पर-छान, कोठी-बँगलों के
मन भाना नये बरस !
घर की थाली, भरी-भरी हो
नहीं कमी हो कुछ ऐसी,
खुशहाली हो, तंगदिली की
घर में हो ऐसी तैसी.
जिनसे अब तक, त्रसित रहे सब
मुक्ति दिलाना नये बरस !
--डॉ. मुकेश श्रीवास्तव अनुरागी
नये वर्ष को समर्पित आपकी ये पोस्ट बेहद ग़जब की लगी।
जवाब देंहटाएंमेरी नई कविता आपके इंतज़ार में है : नम मौसम, भीगी जमीं ..
सुंदर नवगीत के लिए मुकेश जी को हार्दिक बधाई...
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 18/12/12 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका इन्तजार है
जवाब देंहटाएंजिनसे अब तक, त्रसित रहे सब
जवाब देंहटाएंमुक्ति दिलाना नये बरस !
मेरी कामना है की यह कामना पूरी हो... अच्छा गीत.
घर की थाली, भरी-भरी हो
जवाब देंहटाएंनहीं कमी हो कुछ ऐसी,
खुशहाली हो, तंगदिली की
घर में हो ऐसी तैसी.
जिनसे अब तक, त्रसित रहे सब
मुक्ति दिलाना नये बरस !
..सुन्दर कामनाओं का मधुर गीत।
बच्चों को भी मिलें मुरादें
जवाब देंहटाएंऔर युवा मन को सपने,
मुट्ठी भर आकाश दिलाना
पाँव चले धरती नपने..नववर्ष को पूरी तैयारी के साथ आने के लिये आगाह करता सुन्दर गीत
सुन्दर मनभावन नवगीत के लिए हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर मनभावन नवगीत के लिए हार्दिक बधाई ।
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