होली का हर
रंग अनोखा।
रंगी हथेली लेकर दौड़े
दूर हुए सब मन के घोड़े,
चली गई मुस्कानें देकर
बोझिल मन पर चले हथौड़े,
साथ रह गया
लेखा-जोखा।
भूल गए वो ढाई आखर
पथ में साथ किसी का पाकर,
अनजानी रह गई विरासत
प्रीत हुई बेदम अकुलाकर,
किसके साथ हुआ
क्या धोखा।
मौसम ने कर ली मनमानी,
दिशा-दिशा में चादर तानी,
उड़े रंग के बादल नभ में,
भूतल भरा समंदर पानी,
मत करना तुम
बंद झरोखा।
-महेश सोनी
रंग अनोखा।
रंगी हथेली लेकर दौड़े
दूर हुए सब मन के घोड़े,
चली गई मुस्कानें देकर
बोझिल मन पर चले हथौड़े,
साथ रह गया
लेखा-जोखा।
भूल गए वो ढाई आखर
पथ में साथ किसी का पाकर,
अनजानी रह गई विरासत
प्रीत हुई बेदम अकुलाकर,
किसके साथ हुआ
क्या धोखा।
मौसम ने कर ली मनमानी,
दिशा-दिशा में चादर तानी,
उड़े रंग के बादल नभ में,
भूतल भरा समंदर पानी,
मत करना तुम
बंद झरोखा।
-महेश सोनी
रंगी हथेली लेकर दौड़े
जवाब देंहटाएंदूर हुए सब मन के घोड़े,
चली गई मुस्कानें देकर
बोझिल मन पर चले हथौड़े,
साथ रह गया
लेखा-जोखा।सुंदर पंक्तियाँ....
महेश जी, आपका नवगीत पहली बार पढ़ा। बहुत सुंदर लगा, हार्दिक बधाई...
कल्पना जी, सबसे पहले तो आपको होली पर्व की ढेरों शुभकामनाएं।
हटाएंआपने मेरे गीत को सराहा इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद