और...
रंग में भीगे दिन ये क्या आये
हम बौराये
दिन पद्माकर
रातें देव-बिहारी हैं
उषा-सुन्दरी
हुईं दिशाएँ सारी हैं
हर पल-छिन
आलिंगन माँगे - होली गाये
हम बौराये
इंद्रधनुष-फूलों पर
भौरों की गुनगुन
गूँज रही साँसों में
मीठी वंशीधुन
पहली रितु की
याद जगी ख़ुद को बिसराये
हम बौराये
देखो सजनी,
हवा हुई वृन्दावन है
खिली चाँदनी लगती
रोली-चन्दन है
सूरज ने
हर घाटी में गुलाल बिखराये
हम बौराये
-कुमार रवीन्द्र
(हिसार)
रंग में भीगे दिन ये क्या आये
हम बौराये
दिन पद्माकर
रातें देव-बिहारी हैं
उषा-सुन्दरी
हुईं दिशाएँ सारी हैं
हर पल-छिन
आलिंगन माँगे - होली गाये
हम बौराये
इंद्रधनुष-फूलों पर
भौरों की गुनगुन
गूँज रही साँसों में
मीठी वंशीधुन
पहली रितु की
याद जगी ख़ुद को बिसराये
हम बौराये
देखो सजनी,
हवा हुई वृन्दावन है
खिली चाँदनी लगती
रोली-चन्दन है
सूरज ने
हर घाटी में गुलाल बिखराये
हम बौराये
-कुमार रवीन्द्र
(हिसार)
मधुर अनुगूँज से मन को लुभाता हुआ अति सुंदर नवगीत....
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,आभार.
जवाब देंहटाएंइस गीत पर कुछ कहना सूरज को रोशनी दिखाना है ..."इंद्रधनुष-फूलों पर
जवाब देंहटाएंभौरों की गुनगुन
गूँज रही साँसों में
मीठी वंशीधुन
पहली रितु की
याद जगी ख़ुद को बिसराये
हम बौराये " यह पंक्तियाँ किसी को भी सब कुछ बिसरा देने को मजबूर कर सकती हैं ...जादुई है आपकी कलम. आपको नमन.
देखो सजनी,
जवाब देंहटाएंहवा हुई वृन्दावन है
खिली चाँदनी लगती
रोली-चन्दन है
हमेशा की तरह अतिसुन्दर नवगीत पढ़वाने के लिये हार्दिक धन्यवाद.
एक सुन्दर नवगीत , सदा की तरह ...
जवाब देंहटाएंदेखो सजनी,
हवा हुई वृन्दावन है
खिली चाँदनी लगती
रोली-चन्दन है ........
बहुत सुंदर नवगीत
जवाब देंहटाएं