ओ भाई, ऐसे फागुन आएँ
जो न गाए गीत, गाए हो रीत
खूब बतियाएँ
ओ भाई, ऐसे फागुन आएँ
दरक गई है प्रीत परस्पर
ढूढे मिले न मन के मीत
हारे हुये,
समय के संग संग
कहाँ मिली है सबको जीत
दुख सुख साथ साथ चलते हैं
हम सबको
ललचाएँ
ओ भाई, ऐसे फागुन आएँ
नये सृजन हों, नव आशाएँ
नए रंग हों नव आभाएँ
नया समय है,
नव विचार से
पा जाये हम नई दिशाएँ
कोई न छूटे सँगी साथी
साथ साथ
चल पाएँ
ओ भाई, ऐसे फागुन आएँ
-कमलेश कुमार दीवान
जो न गाए गीत, गाए हो रीत
खूब बतियाएँ
ओ भाई, ऐसे फागुन आएँ
दरक गई है प्रीत परस्पर
ढूढे मिले न मन के मीत
हारे हुये,
समय के संग संग
कहाँ मिली है सबको जीत
दुख सुख साथ साथ चलते हैं
हम सबको
ललचाएँ
ओ भाई, ऐसे फागुन आएँ
नये सृजन हों, नव आशाएँ
नए रंग हों नव आभाएँ
नया समय है,
नव विचार से
पा जाये हम नई दिशाएँ
कोई न छूटे सँगी साथी
साथ साथ
चल पाएँ
ओ भाई, ऐसे फागुन आएँ
-कमलेश कुमार दीवान
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