आग जैसी
डगर पर, ठंडे पड़ावों से पड़े हैं
नीम घर के द्वार पर माँ की दुआओं
से खड़े हैं
धरा के माथे
दिठौनों से रखे ये छाँव के अलमस्त छौनों से दिखें ये
धूप के सिकते हुये ‘टाइल्स’ पर ‘जूट’ के शीतल बिछौनों से बिछे ये
टोप, पत्तों का धरे सिर पर
लड़ाकों से अड़े हैं
हलों–बैलों के लिये
ठहराव के पल, साथ गुड़ के घुघरी औ रसियाव के पल
थोड़ी झपकी कुछ ठिठोली, घरैतिन संग दोपहर की छाँव के पल
छनके आती किरन गोरे गाल पर
फागुन गढ़े हैं
खेलता बचपन ‘चिगड्डी’
और ‘कंचे’ ओट में इसकी युवामन स्वप्न बुनते
शीत झोंके पाते मेहनत के पसीने बड़े–बूढ़े बैठ बीती बात कहते
छाँह से इसकी बुढ़ापा, जवानी,
बचपन जुड़े हैं
–कृष्ण नन्दन मौर्य
(प्रतापगढ़)
डगर पर, ठंडे पड़ावों से पड़े हैं
नीम घर के द्वार पर माँ की दुआओं
से खड़े हैं
धरा के माथे
दिठौनों से रखे ये छाँव के अलमस्त छौनों से दिखें ये
धूप के सिकते हुये ‘टाइल्स’ पर ‘जूट’ के शीतल बिछौनों से बिछे ये
टोप, पत्तों का धरे सिर पर
लड़ाकों से अड़े हैं
हलों–बैलों के लिये
ठहराव के पल, साथ गुड़ के घुघरी औ रसियाव के पल
थोड़ी झपकी कुछ ठिठोली, घरैतिन संग दोपहर की छाँव के पल
छनके आती किरन गोरे गाल पर
फागुन गढ़े हैं
खेलता बचपन ‘चिगड्डी’
और ‘कंचे’ ओट में इसकी युवामन स्वप्न बुनते
शीत झोंके पाते मेहनत के पसीने बड़े–बूढ़े बैठ बीती बात कहते
छाँह से इसकी बुढ़ापा, जवानी,
बचपन जुड़े हैं
–कृष्ण नन्दन मौर्य
(प्रतापगढ़)
आग जैसी
जवाब देंहटाएंडगर पर, ठंडे पड़ावों से पड़े हैं
नीम घर के द्वार पर माँ की दुआओं
से खड़े हैं...
टोप, पत्तों का धरे सिर पर
लड़ाकों से अड़े हैं....
छाँह से इसकी बुढ़ापा, जवानी,
बचपन जुड़े हैं...
विषम पर्यावरणीय स्थितियों,वृक्षों और खेती को लपलपाती जिह्वा से लीलते जाने वाले युग में हमारे प्राचीन वृक्ष लड़ाका ही हैं. अच्छे विम्बों से युक्त एक खूबसूरत नवगीत.
नीम घर के द्वार पर
जवाब देंहटाएंमाँ की दुआओं
से खड़े हैं
बहुत खूबसूरत नवगीत, बधाई कृष्णनंदन जी।
नए और सुंदर बिंबों से सजा सुंदर नवगीत...
जवाब देंहटाएंकृष्ण नन्दन जी, हार्दिक बधाई
आग जैसी
जवाब देंहटाएंडगर पर, ठंडे पड़ावों से पड़े हैं
नीम घर के द्वार पर माँ की दुआओं
से खड़े हैं......................................मुखड़ा ही इतना खूबसूरत
धूप के सिकते हुये ‘टाइल्स’ पर ‘जूट’ के शीतल बिछौनों से बिछे ये.........बहुत सुन्दर तुलना
छाँह से इसकी बुढ़ापा, जवानी,
बचपन जुड़े हैं.....बहुत सुन्दर प्रस्तुतिकरण...
बहुत सुंदर नवगीत है। बधाई कृष्णनंदन जी को
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर नवगीत है। बधाई कृष्णनंदन जी को
जवाब देंहटाएंआग जैसी
जवाब देंहटाएंडगर पर, ठंडे पड़ावों से पड़े हैं
नीम घर के द्वार पर माँ की दुआओं
से खड़े हैं...बहुत सुन्दर मुखड़ा और बहुत सुन्दर गीत। बधाई नन्दन जी