
मौसम के साथी हैं
नीम हमारी बारहमासी थाती है
युगों–युगों से द्वार–
द्वार की शान बने हैं
सिर पर गहरी छाँव उठाये खड़े तने हैं
ठाँव जहाँ तपती दुपहरिया पाती है
पत्ते, फूल और फल
सब वरदान सरीखे
जड़ भी तो बहुमूल्य जड़ी–बूटी सी दीखे
दातूनों की दया दाँत चमकाती है
बाहर से भीतर से
संबल पाता जीवन
करे वायु के साथ रक्त का भी तो शोधन
पग–पग पर सेहत का साथ निभाती है
शाखों पर झूला डाले
जब सावन आये
पेंगो में उड़–उड़ जाये चुनरी लहराये
पुरवाई भी कजरी सुनने आती है
– रविशंकर मिश्र रवि
(प्रतापगढ़)
एक अच्छे नवगीत के लिए रविशंकर जी को बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सारा धन्यवाद धर्मेन्द्र जी
हटाएंहमारे लोक जीवन की सखा-सहचरी नीम के बहुपयोगी रूप का दिकदर्शन कराता सुन्दर नवगीत। अन्य पेड़ों की अपेक्षा इसकी महत्ता सचमुच अतुल्य है, बड़ी संजीदगी से आपने इसे उजागर किया है। बधाई आपको रविशंकर जी।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद रामशंकर जी
हटाएंआम–आँवले तो
जवाब देंहटाएंमौसम के साथी हैं
नीम हमारी बारहमासी थाती है
बहुत सुंदर और सशक्त नवगीत के लिए हार्दिक बधाई रविशंकर जी...
प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद कल्पना जी
हटाएंसुन्दर गीत बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत के लियर बधाई
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद अजय जी
हटाएंनीम की शान में एक सार्थक रचना ! बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंनीम की शान में एक सार्थक रचना ! बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंढेर सारे धन्यवाद साधना जी
हटाएंबहुत सुन्दर नवगीत
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद कविता जी
हटाएंbahut hi pyari rachana ke kiye sadhuwaad,badhayi ho
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद लोकेश जी
हटाएंआम–आँवले तो
जवाब देंहटाएंमौसम के साथी हैं
नीम हमारी बारहमासी थाती है
सुंदर अभिव्यक्ति। दशकुल वृक्षों की यही थाती है। नीम भी उनमें एक है। अच्छे नवगीत के लिए बधाई।
उत्साहवर्धन हेतु धन्यवाद आकुल जी
हटाएंपग पग पर सेहत का साथ निभाती है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर नवगीत।
बहुत सुन्दर भावपूर्ण नवगीत के लिए बधाई।
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