चम्पा चटकी इधर डाल पर
महक उठी अंगनाई
उषाकाल नित
धूप तिहारे चम्पा को सहलाए
पवन फागुनी लोरी गाकर
फिर ले रही बलाएँ
निंदिया आई अखियों में और
सपने भरे लुनाई .
श्वेत चाँद सी
पुष्पित चम्पा कल्पवृक्ष सी लागे
शैशव चलता ठुमक ठुमक कर
दिन तितली से भागे
नेह अरक में डूबी पैंजन -
बजे खूब शहनाई.
-शशि पुरवार
जलगाँव
सुंदर रचना ....
जवाब देंहटाएंआभार अनुपमा जी ,
हटाएंशशि जी ,बेहतरीन गीत ,विशेष कर
हटाएंयह लाइन्स शैशव चलता ठुमक ठुमक कर
दिन तितली से भागे.बधाई मंजुल भटनागर
दीदी : बहुत खूबसूरत रचना... साक्षात् का अनुभव कराती हुई पंक्तियाँ :-)
हटाएंबधाई हो :-)
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंचम्पा चटकी इधर डाल पर
महक उठी अंगनाई......क्या ख़ूब शब्द-संयोजन है, वाह ! दूसरा अंतरा तो बेजोड़ है चाक्षुस, श्रव्य, और गतिमय बिम्बों की दृष्टि से...
श्वेत चाँद सी
पुष्पित चम्पा कल्पवृक्ष सी लागे
शैशव चलता ठुमक ठुमक कर
दिन तितली से भागे
नेह अरक में डूबी पैंजन -
बजे खूब शहनाई...............ह्रदय से बधाई शशि जी इस मधुर नवगीत के लिए !
सुन्दर नवगीत के लिए बधाई शशि पुरवार जी।
जवाब देंहटाएंsundar geet badhai
जवाब देंहटाएंबेहद खुबसूरत।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दरं नवगीत । शशि जी आपने बहुत खूबसूरत उपमानों का प्रयोग किया है । हार्दिक बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर शब्द विन्यास के साथ मनोहारी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुंदर शब्द विन्यास से सजी मनोहर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति शशि जी उम्दा पंक्तियां .श्वेत चाँद सी
जवाब देंहटाएंपुष्पित चम्पा कल्पवृक्ष सी लागे
शैशव चलता ठुमक ठुमक कर
दिन तितली से भागे
है गुलाब फूलों का राजा,लिली फूल की रानी ,
जवाब देंहटाएंचम्पा है फूलों की देवी ,
रूप सुगंध समानी !
बहुत सुंदर...शशि जी को हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंकितना सुन्दर गीत लिखा आपने ...वाह ...ठुमकता हुआ गीत है ...हार्दिक मंगलकामना
जवाब देंहटाएंkhubsurat navgeet..
जवाब देंहटाएंkahan se dhundh pate ho, itne khubsurat shabdo ko :)
behtareen!
bahut sundar geet
जवाब देंहटाएंमंजुल जी , सचिन , अश्विनी जी , सुरेन्द्र पाल जी ,तुषार जी ,शास्त्री जी ,अजय जी ,कल्पना जी ,संध्या जी ,कम्बोज जी ,दीपिका जी ,तेला जी ,प्रतिभा जी ,मुकेश .आप सभी का तहे दिल से आभार ,आपने गीत को पसंद करके अपनी अनमोल टिप्णी से उत्साहवर्धन किया . :)
जवाब देंहटाएंशशि जी बधाई। बड़ी सुखद अनुभूति हुई आपको नवगीत लिखते देखकर। अब आप बढ़िया नवगीत लिखेंगी। संक्षिप्त ताने-बाने में रचा गया नवगीत।
जवाब देंहटाएंबहुत मनोहर गीत शशि पुरवार जी .. स्वागत है।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंकांत जी तहे दिल से आभार ,आपने गीत को पसंद करके अपनी अनमोल टिप्णी से उत्साहवर्धन किया . :)
हटाएंबहुत मनोहर गीत शशि पुरवार जी .. स्वागत है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारा नवगीत है शशि जी ,हार्दिक बधाई आपको इतना मनोहारी लिखने के लिए
जवाब देंहटाएंजी तहे दिल से आभार शुक्ल जी ,आपने गीत को पसंद करके अपनी अनमोल टिप्णी से उत्साहवर्धन किया . :)
हटाएंबहुत ही मोहक. लाजवाब रचना के लिये हार्दिक बधाई शशि जी.
जवाब देंहटाएंजी तहे दिल से आभार अनिल जी ,
हटाएंयह गीत शशी जी आपके लेखन के प्रति अदम्य उत्साह का प्रतीक है....अब आप तितली की तरह उड़ रही हैं ....Bon Voyage..
जवाब देंहटाएंजी तहे दिल से आभार परमेश्वर जी ,आपने गीत को पसंद करके अपनी अनमोल टिप्णी से उत्साहवर्धन किया . :)
हटाएंनेह अरक में डूबी पैंजन -
जवाब देंहटाएंबजे खूब शहनाई........सचमुच शहनाई सा बजता गीत है आपका ...बहुत बधाई ..शशि जी
सुन्दर नवगीत के लिए बधाई शशि पुरवार जी
जवाब देंहटाएंसुन्दर नवगीत.... बधाई!
जवाब देंहटाएंडॉ सरस्वती माथुर
सुंदर नवगीत है। शशि पुरवार जी को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ही सुन्दर!
जवाब देंहटाएंसरस्वती जी जी .सज्जन जी ,brajesh ji तहे दिल से आभार ,आपने गीत को पसंद करके अपनी अनमोल टिप्णी से उत्साहवर्धन किया . :) ,
हटाएंउषाकाल नित
जवाब देंहटाएंधूप तिहारे चम्पा को सहलाए
पवन फागुनी लोरी गाकर
फिर ले रही बलाएँ
निंदिया आई अखियों में और
सपने भरे लुनाई . ..........
श्वेत चाँद सी
पुष्पित चम्पा कल्पवृक्ष सी लागे
शैशव चलता ठुमक ठुमक कर
दिन तितली से भागे
नेह अरक में डूबी पैंजन -....... लाजवाब रचना...
जी तहे दिल से आभार कृष्ण नन्दन ji ,आपने गीत को पसंद करके अपनी अनमोल टिप्णी से उत्साहवर्धन किया . :)
हटाएंप्यारा गीत है...
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