गायें गौरव गान देश का
गायें गौरव गान
यह भूमि है अति पावन
सबसे बढ़कर मनभावन
इस पर आँच न आने देंगे
कर देंगे जीवन बलिदान
सीमा पर शत्रु को देखो
अपमानित करता भारत को
आज दिखा दें उसको अपनी
एक झलक पहचान
पुनः करें हम शक्ति साधना
भरें हृदय में राष्ट्र भावना
विजय पताका थामें कर में
बढ़ते वीर जवान
जन्मभूभि का कर्ज चुकाने
भारत माँ का मान बढ़ाने
प्रभुराम के साधक बनकर
कर लें शर संधान।
-सुरेन्द्रपाल वैद्य
मंडी, हि.प्र.
गायें गौरव गान
यह भूमि है अति पावन
सबसे बढ़कर मनभावन
इस पर आँच न आने देंगे
कर देंगे जीवन बलिदान
सीमा पर शत्रु को देखो
अपमानित करता भारत को
आज दिखा दें उसको अपनी
एक झलक पहचान
पुनः करें हम शक्ति साधना
भरें हृदय में राष्ट्र भावना
विजय पताका थामें कर में
बढ़ते वीर जवान
जन्मभूभि का कर्ज चुकाने
भारत माँ का मान बढ़ाने
प्रभुराम के साधक बनकर
कर लें शर संधान।
-सुरेन्द्रपाल वैद्य
मंडी, हि.प्र.
खूबसूरत रचना..... बधाई
जवाब देंहटाएंपुनः करें हम शक्ति साधना
जवाब देंहटाएंभरें हृदय में राष्ट्र भावना
विजय पताका थामें कर में
बढ़ते वीर जवान........
देशभक्ति से परिपूर्ण सुंदर गीत के लिए आपको हार्दिक बधाई
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक कल बृहस्पतिवार (15-08-2013) को "जाग उठो हिन्दुस्तानी" (चर्चा मंच-अंकः1238) पर भी होगा!
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सुरेन्द्रपाल जी, बधाई स्वीकार करें
जवाब देंहटाएं