15 अगस्त 2013

६. मेरा भारत

काश्मीर से कन्याकुमारी
एक यही पहचान
भारत अपनी मातृभूमि है
हम उसकी सन्तान
कितना सुन्दर देश महान।।

पूरब दक्षिण पश्चिम में
गहरा सागर लहराये
गरज गरज कर देवभूमि
भारत की महिमा गाये
उत्तर में है खडा हिमालय
अपना सीना तान।

सबसे पहिले यहीं
ज्ञान का सूरज उदय हुआ था
अस्त्र शस्त्र विज्ञान शास्त्र ने
भी आकाश छुआ था
विश्वगुरू बनकर दुनियाँ को
दिया ज्ञान का दान।।

सभी दुखों का कारण
बस केवल अज्ञान समझना
सभी समस्याओं को
हल करने ज्ञानार्जन करना
फल की इच्छा छोड
कर्म करना गीता का ज्ञान।।

-शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
होशंगाबाद

7 टिप्‍पणियां:

  1. अपने वैभवशाली अतीत को सहेजते हुए ज्ञानार्जन और कर्म से विकास की और अग्रसर होने को प्रेरित करता सुन्दर गीत...

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  2. एक अच्छे नवगीत के लिए आपको बहुत बहुत बधाई

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  3. सुंदर नवगीत के लिए शास्त्री जी को बधाई

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