स्वतंत्रता दिवस नजदीक है और देश प्रेम की भावना शाश्वत, लेकिन कुछ लोगों के निजी स्वार्थ, लालच और विदेशी ताकतों की कूटनीति से विश्व के जो देश अपनी भाषा, सभ्यता और संस्कृति के नष्ट होने का दंश झेल रहे हैं हमारा देश भी उनमें शामिल हो गया लगता है।
इस सबके बावजूद देशप्रेम की भावना तो कम नहीं होती। सैकड़ों सालों की गुलामी के बाद भी जिस देशप्रेम को कुचला नहीं जा सका, क्या उसे आज चुनौती दी जा सकती है? देशप्रेम की तमाम विचारधाराओं, संवेदना की तमाम पर्तो और शिल्प की नवीनतम बारीकियों की खोज करने के लिये कार्यशाला - २९ की चुनौती प्रस्तुत है। विषय है मेरा भारत, नवगीत भेजने की अंतिम तिथि है १० अगस्त। चुने हुए नवगीत अनुभूति के स्वतंत्रता दिवस विशेषांक में शामिल होंगे। पता है- navgeetkipathshala@gmail.com
इस सबके बावजूद देशप्रेम की भावना तो कम नहीं होती। सैकड़ों सालों की गुलामी के बाद भी जिस देशप्रेम को कुचला नहीं जा सका, क्या उसे आज चुनौती दी जा सकती है? देशप्रेम की तमाम विचारधाराओं, संवेदना की तमाम पर्तो और शिल्प की नवीनतम बारीकियों की खोज करने के लिये कार्यशाला - २९ की चुनौती प्रस्तुत है। विषय है मेरा भारत, नवगीत भेजने की अंतिम तिथि है १० अगस्त। चुने हुए नवगीत अनुभूति के स्वतंत्रता दिवस विशेषांक में शामिल होंगे। पता है- navgeetkipathshala@gmail.com
बहुत ही अच्छा आयोजन है! बहुत कुछ सीखने को मिलेगा हम सबको!
जवाब देंहटाएंमुझे तो देर हो गयी आदरणीय
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