तुम्हारा स्वागत हे नव वर्ष!
पारिजात शुभ गन्ध बिखेरे
नयनों में फिर सपने तेरें
भूलें सब अवसाद भरे क्षण
खिलें कुसुम महके नंदन वन
मिलें फिर जन-जन को उत्कर्ष
तुम्हारा स्वागत हे नव वर्ष!
झूम-झूम कर कोयल गाये
अमराई खिल-खिल बौराये
सौरभ हर आंगन में उतरे
दर्पण-दर्पण राधा संवरे
धूम हो गली-गली में हर्ष
तुम्हारा स्वागत हे नव वर्ष!
ढोल मृदंग झांझ ढफ झनके
आंगन-आंगन पायल छनके
दिन होली हो रात दीवाली
कभी न आवे आंधी काली
न हो अब दुनियाँ में संघर्ष
तुम्हारा स्वागत हे नव वर्ष।।
डॉ. मधु प्रधान
(कानपुर)
पारिजात शुभ गन्ध बिखेरे
नयनों में फिर सपने तेरें
भूलें सब अवसाद भरे क्षण
खिलें कुसुम महके नंदन वन
मिलें फिर जन-जन को उत्कर्ष
तुम्हारा स्वागत हे नव वर्ष!
झूम-झूम कर कोयल गाये
अमराई खिल-खिल बौराये
सौरभ हर आंगन में उतरे
दर्पण-दर्पण राधा संवरे
धूम हो गली-गली में हर्ष
तुम्हारा स्वागत हे नव वर्ष!
ढोल मृदंग झांझ ढफ झनके
आंगन-आंगन पायल छनके
दिन होली हो रात दीवाली
कभी न आवे आंधी काली
न हो अब दुनियाँ में संघर्ष
तुम्हारा स्वागत हे नव वर्ष।।
डॉ. मधु प्रधान
(कानपुर)
नए वर्ष के स्वागत में मनभावन गीत के लिए मधु प्रधान जी को हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंजीवन की उमंगों से भरा सुन्दर नवगीत।
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति में लयात्मकता है.
जवाब देंहटाएंकिन्तु रचना में नवीन बिम्बों का होना विधान को और संतुष्ट करता. इस हेतु रचनाकार का आग्रही होना पाठकों को भी आश्वस्त करेगा.
शुभ-शुभ
सुन्दर गीत
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