आया फिर नववर्ष
भूल जाओ जो बीता।
धूल झाड़ ख्वाबों को
बाहों में भर लो
फूल खिले बागों को
राहों में कर लो
काँटों को भी साथ
रखो अभिमान न आए
राख हटा अंगारों को
दामन में भर लो
समय नहीं रुकता है
चलता रहा जो जीता।
फिर अवसर आएगा
ढूँढ़ो यह अथाह है
हर युग में इतिहास बने
यह समय गवाह है
बुद्धिमान हर मानव है
पर बुद्ध हैं कितने
साहिल कभी नहीं मरते
तूफान गवाह है
कर्मण्यव बना है वो
पढ़ता रहा जो गीता।
छोटी-छोटी खुशियों के
पल छिन न छोड़ो
छोटी-छोटी बातों पे
अब मुँह न मोड़ो
कब कोई इक राह
बना जायेगी दुनिया
छोटी-छोटी पगडँडियों पे
हाथ न छोड़ो
बना मसीहा वो दिल
भरता रहा जो रीता।
-आकुल
(कोटा)
भूल जाओ जो बीता।
धूल झाड़ ख्वाबों को
बाहों में भर लो
फूल खिले बागों को
राहों में कर लो
काँटों को भी साथ
रखो अभिमान न आए
राख हटा अंगारों को
दामन में भर लो
समय नहीं रुकता है
चलता रहा जो जीता।
फिर अवसर आएगा
ढूँढ़ो यह अथाह है
हर युग में इतिहास बने
यह समय गवाह है
बुद्धिमान हर मानव है
पर बुद्ध हैं कितने
साहिल कभी नहीं मरते
तूफान गवाह है
कर्मण्यव बना है वो
पढ़ता रहा जो गीता।
छोटी-छोटी खुशियों के
पल छिन न छोड़ो
छोटी-छोटी बातों पे
अब मुँह न मोड़ो
कब कोई इक राह
बना जायेगी दुनिया
छोटी-छोटी पगडँडियों पे
हाथ न छोड़ो
बना मसीहा वो दिल
भरता रहा जो रीता।
-आकुल
(कोटा)
फिर अवसर आएगा
जवाब देंहटाएंढूँढ़ो यह अथाह है
हर युग में इतिहास बने
यह समय गवाह है
बुद्धिमान हर मानव है
पर बुद्ध हैं कितने
साहिल कभी नहीं मरते
तूफान गवाह है
बहुत सुंदर विचार, आकुल जी हार्दिक बधाई
धन्यवाद, रामानीजी।
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक प्रयास और सुन्दर परिणति .. .
जवाब देंहटाएंशुभ-शुभ
कब कोई इक राह
जवाब देंहटाएंबना जायेगी दुनिया
छोटी-छोटी पगडँडियों पे...छोटे छोटे प्रयासों को गौरवान्वित करता है सह सार्थक नवगीत..बधाई.
धन्यवाद श्री परमेश्वरजी और श्री सौरभ जी।
जवाब देंहटाएंछोटी-छोटी खुशियों के
जवाब देंहटाएंपल छिन न छोड़ो... बहुत सुन्दर
धूल झाड़ ख्वाबों को
जवाब देंहटाएंबाहों में भर लो
फूल खिले बागों को
राहों में कर लो
काँटों को भी साथ
रखो अभिमान न आए
राख हटा अंगारों को
दामन में भर लो
वाह क्या बात है भाई आकुल.नया वर्ष आप के लिये नये नये कीर्तिमानों का वर्ष बने और आप का जीवन सारी दुनियाँ के लिये एक ऐसी पाठशाला, जहां सिर्फ और सिर्फ प्रेम ही प्रेम सीखा वा सिखाया जाय. नफरतों के गढ़-मठ सभी ढहने की प्रभावी प्रक्रिया में आयें.एकता- भाईचारासहयोग- शांती ही इस वर्ष में हम सभी कॅया वास्तविक लक्ष्य बने और एक बेहतर समाज की रचना हमारी परियोजना हो. आप की अनवरत श्रेष्ठ और मूल्याधारित स्रजनधर्मिता आप को यशश्वी बनाये और दुनियाँ आलोकित होने लगे आप के लेखन की दीप्ति और हृदय की निर्मलता से. यही मेरी अंतरात्मा से आप के लिये अशेष मंगल कामना है. नया वर्ष -लोहड़ी-गुरु पर्व- मकर संक्रान्ति आप के जीवन में असली आनंद का वाहक बनें.
सस्नेह,
डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'