शादी उत्सव गाजा बाजा हमारी संस्कृति के विशेष अंग है। परिवार में शादी की तैयारियों की अपनी रौनक होती है। इतनी तैयारी जैसे शादी के दो-तीन दिनों में जीवन के सारी राजसी ठाठ पूरे हो जाएँगे। विवाह के दिनों में महूरत और रस्मों की को निभाते हुए आयोजन में खुशियों की बाढ़ आ जाती है। कभी यह संवेदनाओं को गहराई से छूती है तो कभी उत्सव के बाद खर्च की दीवानगी कर्जों के बोझ को ढोती दिखाई देती है। इन्हीं सब पर आधारित है हमारी अगली कार्यशाला। रचना भेजने की अंतिम तिथि है ३१ जनवरी और पता है-
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एक नया और रुचिकर विषय है। कलम तो चलनी ही है
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और उपयोगी आयोजन होगा यह!
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