1 जनवरी 2014

२२. नया साल है चलकर आया

नया साल है चलकर आया
देखो नंगे पांव
आने वाले कल में आगे
देखेगा क्या गाँव

धधक रही भठ्ठी में महुवा
महक रहा है
धनिया की हंसुली पर सुनरा
लहक रहा है
कारतूस की गंध अभी तक
नथुनों में है
रोजगार गारंटी अब तक
सपनों में है
हो लखीमपुर खीरी, बस्ती या
फिर हो डुमरांव
कब तक पानी पर तैरायें
काग़ज़ वाली नांव

माहू से सरसों, गेहूं को
चलो बचाएं जी
नील गाय अरहर की बाली
क्यों चर जाएं जी
ठंडी रात में बुढ़िया माई
बडबड नहीं करें
हम अपने हिस्से का सूरज
खुद ही चलो गढ़ें
धूप कड़ी हो तो दे जाएं
थोड़ी थोड़ी छाँव
ठंडी ठंडी पुरवाई से
बेहतर है पछियांव

-राणा प्रताप सिंह
नैनी

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