तिर रहा आँखों में जल
इस पार भी ,उस पार भी
किन्तु दोनों पार की
भाषा अलग है
हैं उधर अगुवाई में
आतुर खड़े सपने
और इधर देते विदा
सपने कई अपने
स्वप्न व्याकुल से खड़े
इस पार भी उस पार भी
किन्तु दोनों की ही
अभिलाषा अलग है
वायदे कुछ हैं बंधे
कुछ नेह के अनुबंध
कुछ बंधे उपदेश
आँचल से लिए शुभ गंध
प्रीति के उपहार हैं
इस पार भी उस पार भी
किन्तु उपहारों की
परिभाषा अलग है
-सीमा अग्रवाल
कोरबा, छ.ग.
इस पार भी ,उस पार भी
किन्तु दोनों पार की
भाषा अलग है
हैं उधर अगुवाई में
आतुर खड़े सपने
और इधर देते विदा
सपने कई अपने
स्वप्न व्याकुल से खड़े
इस पार भी उस पार भी
किन्तु दोनों की ही
अभिलाषा अलग है
वायदे कुछ हैं बंधे
कुछ नेह के अनुबंध
कुछ बंधे उपदेश
आँचल से लिए शुभ गंध
प्रीति के उपहार हैं
इस पार भी उस पार भी
किन्तु उपहारों की
परिभाषा अलग है
-सीमा अग्रवाल
कोरबा, छ.ग.
इस सुंदर नवगीत के लिए सीमा जी को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंएक श्रेष्ठ विदाई गीत - सहज एवं भावप्रवण अभिव्यक्ति हेतु मेरा हार्दिक अभिनन्दन स्वीकारें, सीमा जी!
जवाब देंहटाएं