30 जुलाई 2014

३८. बादल आना जी यशोधरा राठौर

प्यासी धरती तुम्हें पुकारे
बादल आना जी

धूल गर्द में लोट रही है
नन्हीं सी गौरैया
सूखी नदी किनारे सूखे
तुम्हें पुकारे प्यासी नैया
फूल पत्तियों की आँखों में
बस हरियाना जी

प्यासी धरती तुम्हें पुकारे
बादल आना जी

ग्राम सखी कजरी गा गाकर
तुम्हें पुकार रही
परती खेतों की आँखें
चुपचाप निहार रहीं
भूल चूक जो हुई उसे
मन से बिसराना जी

प्यासी धरती तुम्हें पुकारे
बादल आना जी

- यशोधरा राठौर

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