प्रत्यंचा टूट गई
छूट गए फूलों के वाण
ऋतुओं के गंध कलश छलक गए
रेशमी हवाओं की
रस्सियाँ भाँजता
बटरोही वसंत
वन-बगीचों में झाँकता
कोयल के पैने संधान
अंध कूप में गहरे सरक गए
शहज़ादे सलीम-सा
बौराया आम
मेंहदी हसन-सी
ग़ज़ल पढ़ती है शाम
पहाड़ों पर नदी के पैतान
गुलमोहर निगाहों में करक गए
जंगल ने ओढ़ ली
खुशबू की चादर
धरती ने लगा ली
जैसे महावर
रंगों के तन गए वितान
गीत-क्षण शीशे-सा दरक गए
--
कैलाश पचौरी
आप और आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ...nice
जवाब देंहटाएंnice जी
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गीत..
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनायें
रेशमी हवाओं की
जवाब देंहटाएंरस्सियाँ भाँजता
बटरोही वसंत
वन-बगीचों में झाँकता
सुंदर..
होली की शुभ-कामनाएँ आपको
सस्नेह
गीता
kailashji, beshak prtyacha toot gaee
जवाब देंहटाएंapka geet nisandeh Shajade salim sa ashikana laga
शहज़ादे सलीम-सा
जवाब देंहटाएंबौराया आम
मेंहदी हसन-सी
ग़ज़ल पढ़ती है शाम
पहाड़ों पर नदी के पैतान
गुलमोहर निगाहों में करक गए
अभिनव प्रतीक ने मन प्रसन्न कर दिया. मनभावन रचना. बधाई..
रंगों के तन गए वितान!
जवाब देंहटाएं--
बहुत सुंदर!
very nice.
जवाब देंहटाएंसुन्दर,मनभावन रचना के लिये धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंशशि पाधा